जीवन में सफलता

नमो नारायण मित्रों,
मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

मित्रों आज हम आपको बतायेगें उन पाँच प्रकार के लोगों के बारे में जो स्वयं की असफलता का कारण तो बनते ही है साथ में अपने आस पास के लोगों के लिए भी घातक सिद्ध होते है। यह लोग नकारात्मक ऊर्जाओं से सदैव घिरे रहते है जिनसे इनके कार्यों और जीवन में सदैव समस्याऐं बनी रहती है और जो लोग इनके सम्पर्क में आते है उनके जीवन में भी असफलताऐं और समस्याऐं आने लगती है। इसलिए समय रहते ही इनका साथ छोड़ देना चाहिए।

  1. लालची स्वभाव के लोगः जो लोग लालची स्वभाव के होते है उनसे सदैव दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसा व्यक्ति हाथ में चाकू पकड़े व्यक्ति की तरह होता है जो कभी भी आप पर प्राहर कर सकता है। लालच किसी भी व्यक्ति को उच्चाभिलाषी बना देता है जिसके चलते वह अपनी अभिलाषाओं को पूर्ण करने के लिए किसी भी रिश्ते में ईमानदारी नही निभा पाता। लालची व्यक्ति के साथ रहने में आपकी मती भी उसी की तरह सोचने लगेगी। लालची व्यक्ति के प्रभाव में आते ही आप भी औरों की चीजों पर गलत नीयत रखने लगेगें और ऐसा करते समय आपके मन में सही गलत का भाव भी नही आयेगा। अपने घर के शुभ कार्यों, मकान दुकान के क्रय-विक्रय, धन लाभ आदि के क्षेत्रों में इनसे कोई चर्चा नही करनी चाहिए। लालची लोगों की दृष्टि सदैव लालच और स्वयं के स्वार्थ से भरी रहती है जिससे यह जिसके भी शुभ कार्य में जाते है वहाँ कार्यों को दृष्टि दोष से बिगाड़ देते है।
  2. निन्दा करने वाले और चुगलीखोर लोगः जो लोग सदैव दूसरे लोगों की निन्दा और चुगली करते रहते है वह कभी भरोसे के पात्र नही होते। ऐसे लोगों को कभी भी अपने घर के भेद नहीं बताने चाहिए। यह लोग आपके कमजोर पलों में आपके साथ भावुक होकर आपके राज जानकर अगले ही पल आनन्द लेकर दूसरों को यह सभी बातें बतायेगें। निन्दा करने वाले के पास सदैव किसी न किसी की निन्दा करने का विषय होता है जिसके चलते यह अपने शुभ कार्यों का नाश तो करते ही है साथ में जिसको यह निन्दा सुनाते है उसकी बुद्धि पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्ञानी से दोस्ती करोगें तो जीवन में ज्ञान बढेगा, अज्ञानी से दोस्ती करोगें तो जीवन में अज्ञान बढ़ेगा, उसी प्रकार निन्दक और चुगलीखोर से दोस्ती करोगों तो निन्दा और चुगलखोरी ही मिलेगी। इसलिए ज्ञानीजन कहते है कि निन्दक और चुगलखोरों से दूर रहना चाहिए।
  3. नास्तिक लोगः नास्तिक लोग वह होते है जो ईश्वर पर आस्था नही रखते या फिर यह भी कह सकते है जिनके जीवन में कोई मूलभूत नियम नही होते। समय जैसे जैसे बदलता गया वैसे वैसे ईश्वरीय अराधना और उसे मानने के नियम बदले है कोई अच्छे कर्म करके ही आस्तिक बन जाता है और कोई दिन भर मन्दिर में घंटी बजाकर भी नास्तिक ही रहता है। नास्तिक शब्द को परिभाषित करना आजकल बहुत मुश्किल है क्योंकि आज कल भगवान की आड़ में कई लोग गलत कार्यों में लिप्त रहते है वह किसी भी प्रकार से आस्तिक नही है। अपने आस पास के लोगों की पहचान और परख जरुर करनी चाहिए की वह किस प्रकार के है उनके जीवन के प्रति कोई नियम भी है या नही। जिन लोगों की ईश्वर में आस्था नही होती और न ही कोई नियम होते है वह लोग कभी भी अपनी स्वार्थ पूर्ति या जरुरत के चलते गलत कार्यों में लिप्त होकर आपका अहित कर सकते है। इसलिए सदैव आस्तिक लोगों का साथ करना चाहिए जिससे जीवन को सही दिशा मिलें।
  4. अत्यधिक क्रोधी लोगः पंचतत्वों से बने शरीर में विकार के रुप में क्रोध का वास सदैव रहता है। किसी में क्रोध कम होता है तो किसी में थोड़ा ज्यादा। लेकिन कुछ लोगों में क्रोध की मात्रा बहुत ज्यादा रहती है। यह लोग बहुत खतरनाक साबित होते है। यह कब किस बात को किस तरीके से लेगें आप इस बात का अन्दाजा भी नही लगा सकते। इनके क्रोध से एक तरफ इनके परिवार के सभी लोग तो डरते ही है दूसरी तरफ इनका चित्त भी पीडित रहता है। ऐसे लोगों का मन मस्तिष्क अस्थिर रहता है। क्रोध एक ऐसा विकार है जो शरीर में छुपे सभी विकारों को बढावा देता है और जीवन को असन्तुलित और असफलता का कारण बनाता है। क्रोधी लोगों में नकारात्मकता बहुत ज्यादा होती है और जहाँ भी यह लोग रहते है नकारात्मक शक्तियाँ इनके साथ जाती है जोकि अशान्ति और असफलता का मुख्य कारण होती है। इसलिए सदैव अपने आस पास शान्त और समझदार लोगों को रखना चाहिए।
  5. ईर्ष्या करने वाले लोगः अपनी परिस्थितियों से सन्तुष्ठ न रहना और दूसरों की परिस्थितियों को अपने लिये अनुकूल मानने से स्वतः ही जिस विकार की उत्तपत्ति होती है उसे कहते है ईर्ष्या या जलन की भावना। हमें जीवन में जो भी प्राप्त होता है वह हमारे शुभ व अशुभ कर्मों से प्राप्त होता है। अच्छे कर्म सौभाग्य और सुख देने वाले होते है और अशुभ कर्म अभाग्य और दुख देने वाले होते है। अच्छे कर्मों से दूर रहकर दूसरों के सुख को सोच-सोच कर ईर्ष्या और जलन करने वाले लोग स्वयं भी दुखी रहते है और अपनी नकारात्मक सोच के चलते दूसरों को भी प्रभावित करते है। ऐसे लोगों को अपने जीवन से जितना दूर रखा जायें उतना ही अच्छा है।

मित्रों कलयुग में जितना जरुरी अच्छे कर्म करना है उतना ही जरुरी बुरे लोगों की पहचान करके उनसे दूर रहना भी है। आपकी थोड़ी सी सावधानी आपके और आपके परिवार को हर तरफ से सुखी, सुरक्षित और सफल बनायेगी।

आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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