Kaalsarpa Dosh, Bhagya Manthan, Guru Rahuleshwar

कालसर्प दोष

नमो नारायण मित्रों,

आज हम चर्चा करेगें कालसर्प दोष के बारें में।

कलयुग में सबसे ज्यादा भयभीत करने वाला योग, कालसर्प योग हैं, इस योग की दहशत इतनी ज्यादा हैं कि लोग इसका नाम सुनते ही ज्योतिषियों को हाथ जोड़ देते हैं, पर कोई यह नहीं जानना चाहता यह हैं क्या, कालसर्प योग अकसर 80 प्रतिशत लोगों की कुण्डली में पाया जाता हैं, तो क्या इसका मतलब यह हैं कि 80 प्रतिशत लोग इस दुनिया में बस परेशान हैं, जी नही ऐसा नहीं हैं, कुछ कालसर्प योगों का प्रभाव गम्भीर होता हैं, यह योग कुछ समय पहले ही फलित ज्योतिष के अनुसंधान के क्षेत्र में आया हैं, जिसकी तुलना वैदिक ज्योतिष के सर्प दोष से की जाती हैं, हमारा प्रयास सदैव शुद्ध ज्ञान को आप तक पहुँचाना होता हैं तो आईये आज जाने कालसर्प योग के बारे में।

जन्म कुंडली में सात ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि जब राहू और केतु के बीच स्थित होते है तो कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है! मान लो यदि कुंडली के पहले घर में राहू स्थित है और सातवे घर में केतु तो बाकी के सभी गृह पहले से सातवें अथवा सातवें से पहले घर के बीच होने चाहिए! यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है की सभी ग्रहों की डिग्रीयाँ राहू और केतु की डिग्रीयों के बीच होनी चाहिए, यदि कोई गृह की डिग्री राहू और केतु की डिग्री से बाहर होती है तो वह पूरी तरह से कालसर्प योग नहीं माना जाता, उसे आंशिक कालसर्प योग की सज्ञा दी जाती हैं। इस स्थिति को आंशिक कालसर्प कहेंगे ! कुंडली में बनने वाला कालसर्प कितना दोष पूर्ण है यह राहू और केतु की अशुभता पर निर्भर करेगा !

अनंत कालसर्प दोष

जब कुंडली के पहले घर में राहू , सातवे घर केतु और बाकि के सात गृह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो वह अनंत कालसर्प दोष कहलाता है। इस योग के चलते जातक सदैव भम्रित सा रहता हैं लोगो की बातों में जल्दी आ जाता हैं, सोचने और तर्क करने की क्षमता बहुत कम हो जाती हैं अनंत कालसर्प दोष जातक की शादीशुदा जीवन पर बहुत बुरा असर डालता है। जातक के अपने जीवन साथी के साथ संबंधों में मधुरता नहीं होती। अनंत कालसर्प दोष के कारण जातक जीवन भर संघर्ष करता है। इस योग का निदान हैं। इस योग का उपायों द्वारा निदान करने में एक वर्ष का समय लग जाता हैं।

कुलीक कालसर्प दोष

जब कुंडली के दुसरे घर में राहू और आठवें घर में केतु और बाकी के सातों गृह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो यह कुलीक कालसर्प दोष कहलाता है। जिस जातक की कुडली में कुलीक कालसर्प दोष होता है, वह अकसर बुरे व्यसनों से घिरा रहता हैं, नशा करना, गलत संगती में ज्यादातर लिप्त मिलता हैं, छोटी ऊमर में ही इस योग के चलते बच्चा बिगड़ जाता हैं, दूषित वाणी का प्रयोग करने में ऐसे लोगों को बडा आन्नद आता हैं, यह आगे चलकर कुटुम्ब की बदनामी का कारण बनते हैं। इस योग का उपचार यदि बचपन में ही करवा दिया जायें तो जातक ठीक रहता हैं।

वासुकी कालसर्प दोष

जब कुंडली में राहू तीसरे घर में, केतु नौवें घर में और बाकी के सभी गृह इन दोनों के मध्य में स्थित हो  तो वासुकी काल्सर्प् दोष का निर्माण होता है ! जिन जातकों की कुंडली में वासुकी नामक कालसर्प दोष होता है, इस योग के चलते जातक को बहुत दिक्कतों को सामना करना पड़ता हैं, क्योकि यहाँ से भाग्य और पराक्रम सीधा सीधा प्रभावित होते हैं जीवन भर जातक सफलता के लिए परेशान रहता हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं आती। इस योग का परिहार किसी भी उमर में हो सकता हैं, योग को प्रभावहीन करने में कम से कम 24 महिने का समय लगता हैं।

शंखपाल कालसर्प दोष

कुंडली में राहू चौथे घर में, केतु दसवें घर में और बाकी सभी गृह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो शंखपाल कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! जिन जातकों की कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष होता है वें जातक माता और मातातुल्य स्त्रियों को दुख देने वाले होते हैं, अपने से बडी उमर की स्त्रियों में ऐसे लोगों की विशेष रुची होती हैं, बचपन में ये लोग सबको बहुत परेशान करते हैं, इसका परिहार बचपन में ही करना चाहिए, वरना बाद में सात वर्ष का समय लगता हैं।

पदम् कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू पांचवे घर में , केतु ग्यारहवें घर में और बाकि के सभी गृह इन दोनों के मध्य स्थित होते है तो पदम् कालसर्प दोष का निमाण होता है। कुंडली में पदम् कालसर्प स्थित होने से जातक को जीवन में कई कठनाइयों का सामना करना पड़ता है इस दोष के अच्छे और बुरे प्रभाव देखे जाते हैं, राहु अच्छे प्रभाव में रहे तो बच्चा विदेशी भाषाओं और विदेशी तकनीक में रुची रखता हैं, और यदि राहु का प्रभाव खराब हो तो बच्चा पढ़ने लिखने में बहुत कमजोर और बहुत मानसिक कष्ट पाने वाला होता हैं। इसका दोष के पूर्ण परिहार में 18 महिने का समय लग जाता हैं।

महापदम कालसर्प दोष

कुंडली में महापदम् कालसर्प का निर्माण तब होता है जब राहू छठे घर में , केतु बारहवें घर में और बाकि के सभी गृह इन दोनों के मध्य स्थित हो। महापदम् कालसर्प दोष जातक के जीवन में नौकरी , पेशा, बीमारी, खर्चा, जेल यात्रा जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देता है। जातक जीवन भर नौकरी पेशा बदलता रहता है क्योकि उसके सम्बन्ध अपने सहकर्मियों से हमेशा ख़राब रहते है। हमेशा किसी न किसी सरकारी और अदालती कायवाही में फसकर जेल यात्रा तक करनी पढ़ सकती है।

तक्षक कालसर्प दोष

कुंडली के सातवे घर में राहू , पहले घर में केतु और बाकि गृह इन दोनों के मध्य आ जाने से तक्षक कालसर्प दोष का निर्माण होता है इस योग के चलते जातक का वैवाहिक जीवन बहुत कष्टों से घिरा रहता हैं जीवनसाथी के साथ सदैव लडाई झगडा रहता हैं, और स्वंय का स्वास्थय भी खराब रहता हैं, जिसके चलते जातक जीने में यकीन नही करता, तक्षक सर्प अकसर सबसे जिद्दी श्रेणी में आते हैं, तक्षक कालसर्प दोष के परिहार में बहुत ज्यादा कर्मकाण्ड करना पडता हैं और कई नियमों का पालन करना पडता हैं।

कर्कोटक कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू आठवें घर में , केतु दुसरे घर में और बाकि सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है। इस स्थान के राहु के चलते बहुत समस्याओं का सामना करना पडता हैं, लडाई झगडा करना, किसी को बुरा बोलना, पेट का खराब रहना, पेट को ओपरेशन होना इस योग के चलते बहुत सामान्य सी बात हैं, यह योग पितृदोष का भी सूचक हैं, ऐसे योग में पैदा व्यक्ति जमा पूँजी को भी नष्ट कर देता हैं।

शंखचूड या शंखनाद कालसर्प दोष

राहू कुंडली के नौवें घर में, केतु तीसरे घर में और बाकि गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो इसे शंखचूड कालसर्प कहते है यह योग एक अवसर होता हैं अब चाहे आप इसे अच्छी तरह प्रयोग कर स्वंय की तरक्की के लिए प्रयोग कर लें या फिर इसके प्रभाव को खराब कर जीवन भर रोते रहें, इस योग में पैदा बच्चा चाहें तो राहु राजा बन जाए और चाहें तो रंक बन बैठे, इस योग में बस एक अच्छे मार्गदर्शन की जरुरत होती हैं, यदि यह योग बिगड़ जायें तो प्रभावहीन होने में 2 वर्ष तक लग जाते हैं।

घातक कालसर्प दोष

कुंडली में जब राहू दसवें घर में और केतु चौथे घर में और बाकि सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो घटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है इस योग के चलते कार्य स्थान पर बहुत समस्याओं का सामना करना पडता हैं, जीवन अस्थिर बना रहता हैं बहुत मेहनत के बाद भी कामचलाऊ धन ही प्राप्त होता हैं, इस योग को 6 महिने प्रभावहीन किया जा सकता हैं।

विषधर कालसर्प दोष

राहू ग्यारहवे स्थान पर, केतु पाचवें स्थान पर और बाकी सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे होने से कुंडली में विषधर कालसर्प दोष का निर्माण होता है। विवाह के बाद कोर्ट कचहरी, धन एकदम से मिलना और फिर गलत कार्यों में नष्ट हो जाना, प्रेम सम्बन्धों में धोखा, विवाह विच्छेद इस योग के चलते होते हैं, इस योग के चलते बडा लाभ भी प्राप्त होता हैं, इस दोष को भी आसानी से प्रभावहीन किया जा सकता हैं।

शेषनाग कालसर्प दोष

कुंडली के बारहवें घर में राहू, छठे घर में केतु और बाकी सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे होने से शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है इस दोष के चलते ऊपरी हवा की समस्या, भूत प्रेतों को लगना, एक अलग सा डर सदैव बने रहना, गन्दे कार्यों में लिप्त रहना, दूसरे की स्त्री पर नजर रखना और परदेश में धन व्यर्थ करवाने के योग बनते हैं, इस योग का परिहार तभी हो सकता हैं जब बच्चा छोटा हो बाद में काफी दिक्कते आती हैं।

मित्रों आज हमने आपको कालसर्प दोष के बारे में जानकारी दी, और यह बताया की कौन सा कालसर्प दोष क्या प्रभाव डालता हैं और कौन सा दोष सही होने में कितना समय लेता हैं, यदि आप भी कालसर्प दोष से पीडित हैं और इस दोष से पूर्ण रुप से मुक्ति चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें और इसका निवारण जानें। भाग्य मंथन (संस्कार ही जीवन आधार) के अन्तर्गंत सभी प्रकार के कर्मकाण्ड (पूजा-अनुष्ठान) अनुभवी ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न किये जाते है जिससे समस्या निवारण ठीक से हो जायें।

।। नमो नारायण ।।

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