जन्म कुंडली के द्वादश भाव का विचार

जन्म कुंडली के पहले भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (पहला भाव विचार)


पहले भाव विचार के श्लोक का अर्थः प्रथम भाव से जातक के शरीर, रुप, रंग, ज्ञान, रचना, शारीरिक बल, जीवन में आने वाले सुख-दुःख की मात्रा व अपने आस पास के लोगों के लिए किस प्रकार का स्वभाव …और पढ़े

जन्म कुंडली के दूसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (दूसरा भाव विचार)


दूसरे भाव के श्लोक का अर्थः दूसरे भाव से जातक के जीवन में धन और धान्य की स्थिति, कुटुम्ब की स्थिति व कुटुम्ब सम्बन्धि ज्योतिषीय दोष, मृत्यु समय की सम्भावना, शत्रु पक्ष, बहुमूल्य रत्न व धातु (सोना, चांदी) का विचार, वाणी और विधा का विचार किया जाता है।..और पढ़े

जन्म कुंडली के तीसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (तीसरा भाव विचार)


तीसरे भाव के श्लोक का अर्थः तीसरे भाव से जातक के पराक्रम, नौकरों, भाई-बहन, उपदेश देने की क्षमता, छोटी और बड़ी यात्राओं, माता-पिता की मृत्यु और स्वयं के आयुष्य का विचार किया जाता है।…और पढ़े

जन्म कुंडली के चौथे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (चौथा भाव विचार)


चौथे भाव के श्लोक का अर्थः चौथे भाव से जातक की माता व उनका स्वास्थ्य, बन्धुओं के सुख की स्थिति, वाहन सुख, जीवन खेत खलियान, निधि, घर की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।…और पढ़े

जन्म कुंडली के पांचवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (पांचवा भाव विचार)


पाँचवें भाव के श्लोक का अर्थः पाँचवें भाव से मंत्र सम्बन्धी, यंत्र सम्बन्धी, बुद्धि, विधा सम्बन्धि, लेखन, सन्तान (पुत्र-पुत्री), राज्यच्युत होना सम्बन्धी बातों की जानकारी प्राप्त होती है।..और पढ़े

जन्म कुंडली के छठे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (छठा भाव विचार)


छठे भाव के श्लोक का अर्थः मामा व मामा का कुल, रोग, शत्रुओं, व्रण, सौतेली माँ आदि का विचार छठे स्थान से किया जाता है।…और पढ़े

जन्म कुंडली के सातवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (सातवां भाव विचार)


सातवें भाव के श्लोक का अर्थः पति या पत्नी, छोटी बड़ी यात्राओं, व्यापार, खोई हुई वस्तुओं से सम्बन्धित, मारक प्रभाव, साझेदारी आदि से सम्बन्धित बातों का विचार सातवें भाव से किया जाता है। …और पढ़े

जन्म कंडली के आठवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (आठवां भाव विचार)


आठवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक की आयु, ऋण, शत्रुता, अपना क्षेत्र (किला), किसी व्यक्ति से वसीयत के बाद मिलने वाला धन सम्पत्ति व किसी की मृत्यु के पश्चात् बीमा कम्पनी से मिलने वाला धन, क्लेश, अपवाद, मन का डर, मृत्यु, दासता,..और पढ़े

जन्म कुंडली के नवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म राशि (नवा भाव विचार)


नवें भाव के श्लोक का अर्थः भाग्य प्रबल रहेगा या कमजोर, धर्म के मार्ग पर रहेगा या नहीं, भाई की स्त्री के विषय में, जीवन में तीर्थ यात्राओं पर जाना होगा या नहीं, गुरु, पुण्य कर्मों, तपस्या और साले का विचार सदैव नवम भाव से किया जाता है। ..और पढ़े

जन्म कुंडली के दसवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (दसवां भाव विचार)


दशवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक के जीवन में राज्यपक्ष से लाभ होगा या नही, आकाश वृत्तान्त, सम्मान, पिता की स्थिति, प्रवास के अवसर आयेगें या नहीं, ऋण सम्बन्धि बातें, हुकूमत, ओहदा,…और पढ़े

जन्म कुंडली के ग्यारहवे भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (ग्यारहवां भाव विचार)


ग्यारहवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक को जितनी भी वस्तुओं की प्राप्ति होती है, आय प्राप्ति के सभी साधन, सभी प्रकार के लाभ, पुत्रवधु, किसी भी प्रकार की वृद्धि, पशुधन व पशु रखने का स्थान, प्राप्ति, प्रशंसा आदि का ..और पढ़े

जन्म कुंडली के बारहवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली (बारहवां भाव विचार)


बारहवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक के जीवन में सभी प्रकार के व्ययों, खर्चों, शत्रुओं, गुप्त शत्रुओं, वाम नेत्र, दुःख, पैर, खुफिया पुलिस, चुगलखोर, दरिद्रता, पाप शयनसुख आदि का विचार सदैव बारहवें भाव से करना चाहिए।…और पढ़े