रुद्राक्ष

सात मुखी रुद्राक्ष, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर

सात मुखी रुद्राक्ष को श्री विष्णुप्रिया महालक्ष्मी जी का स्वरुप माना जाता है। सूर्य की सात रश्मियों से लेकर सप्तऋषियों, सप्तसागर, सप्ततलों की सभी शक्तियाँ इस रुद्राक्ष में बतायी गयी है। इसे धारण करने वाले जातक को अष्टमहालक्ष्मी का आर्शिवाद प्राप्त होता है..और पढ़े

छह मुखी रुद्राक्ष को कार्तिकेय भगवान का स्वरुप माना जाता है। नवग्रहों में शुक्र ग्रह इसके संचालक है जोकि धन, सम्पत्ति, आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, भोग-विलास, प्रेम, संगीत, गुप्तेन्द्रियों, वीर्य, जीवनसाथी, गला, मुख, सुन्दरता, काम-वासना और सभी प्रकार की भौतिक..और पढ़े

पाँच मुखी रुद्राक्ष स्वयं साक्षात् रुद्र स्वरुप होता है। पाँच मुखी रुद्राक्ष के पाँचों मुखों में भगवान शिव के सघोजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर और वामदेव रुप साक्षात् निवास करते है। पाँच मुखी रुद्राक्ष के पाँच मुख पंचतत्वों जल, भूमि, वायु, अग्नि और आकाश को भी प्रदर्शित करते है। इस रुद्राक्ष में पंचतत्वों की शक्ति समाहित होती है..और पढ़े

चार मुखी रुद्राक्ष साक्षात् सृष्टि रचयिता चतुर्मुखी ब्रह्मा जी का स्वरुप है। इसको धारण करने वाला चारों दिशाओं में ख्याति प्राप्त करता है। चार मुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार के शुद्ध ज्ञान का प्रतीक है। चार मुखी रुद्राक्ष को चतुर्वेदों का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा बताया जाता है..और पढ़े

तीन मुखी रुद्राक्ष देव और देवी दोनों प्रकार की त्रि-शक्ति की एकता को प्रकट करने वाला रुद्राक्ष है। यह बहुत ही शक्तिशाली रुद्राक्ष होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व प्रधान होता है। जिस प्रकार अग्नि में तप कर स्वर्ण में और चमक आती है वैसे ही ..और पढ़े

दो मुखी रुद्राक्ष में दो सीधी रेखाऐं होती है जिसके कारण इसे दो मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इसे मनोकामनापूर्ति रुद्राक्ष भी कहा जाता है। यह साक्षात अर्धनारीश्वर स्वरूप होता है जिसमें माता पार्वती और शिव दोनों की शक्ति समाहित होती है। कर्क लग्न और राशि वालों…और पढ़े

रुद्राक्ष शब्द सामान्यतः रुद्राक्ष के वृक्ष को कहते है और रुद्राक्ष वृक्ष के फल को रुद्राक्षम् कहा जाता है। परम शक्तियों का पूजन जब किसी अक्षर जप के माध्यम से किया जाता है तब वहाँ अक्षरों का जो क्रम माला के रुप में प्रयोग किया जाता है उसे भी रुद्राक्ष या रुद्राक्षर कहा..और पढ़े