कु्म्भ राशि के मन का सबसे बड़ा डर, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

कुम्भ राशि के मन का डर

नमो नारायण मित्रों,

मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

मित्रों आज हम ज्योतिष शास्त्र की सहायता से यह पता करेगें कि आपके मन का सबसे बड़ा डर क्या है. जी हाँ, डर शब्द को सुनकर शायद आपके अन्दर का वीर योद्धा जाग उठे और एक स्वर में बोलें  कि मुझे डर वर नही लगता परन्तु देखा जायें तो डर सबको लगता है. जरुरी नहीं की सभी को डर भूत-प्रेतों से लगे. हर मनुष्य को डराने वाली बातें अलग अलग होती है जो सदैव भविष्य की चिन्ता करते समय उसे डराती रहती है।

जन्म कुण्डली के द्वादश भावों में 6 वें, 8 वें और 12 वें स्थान अत्यधिक समस्याऐं देने वाले होते है और इनमें डर का निवास स्थान 6 वें भाव और 8 वें भाव में होता है. 6 वें भाव से सामान्य डर ज्ञात होता है और 8 वें भाव से अज्ञात और छुपा हुआ डर ज्ञात होता है. 6 वें  भाव से उत्पन्न डर सीधे सीधे 12 वें भाव को प्रभावित करता है और आपके जीवन में समस्याऐं उत्तपन्न होने लगती है. 8 वें भाव से सम्बन्धित डर आपके 2 भाव को प्रभावित करते है जिससे आपके आत्मविश्वास में कमी आती और आप जीवन में तेजी से सफल नही हो पाते. अपने डर पर आप विजय प्राप्त करें और इसके कारणों को समझें इसलिए  हम यह एपिसोड बना रहे है।

आज हम बात करेगें कुम्भ राशि और उसके मन के सबसे बड़े डर के बारे में।

कुम्भ राशि, राशि चक्र में ग्यारहवें स्थान पर आने वाली राशि है. इस राशि पर शनि ग्रह का अधिपत्य आता है, पंचतत्वों में यह वायु तत्व वाली राशि है. कालपुरुष के शरीर में कुम्भ राशि का अधिकार क्षेत्र पिण्डलियों पर होता है. इस राशि के तीन द्रेष्काण है जिनके स्वामी क्रमशः शनि, बुध और शुक्र ग्रह है जिसमें शनि ग्रह कड़ी मेहनत, न्यायप्रियता, जुझारुपन, गम्भीर विश्लेषण, आलस्य, रोग, रुकावट, आत्म ग्लानि  के प्रतीक है. बुध ग्रह बुद्धिबल, ज्ञान, शालीनता व सौम्यता के प्रतीक है.शुक्र ग्रह प्रेम, सुन्दरता, मन की कोमलता, दया, और बड़े दिल का प्रतीक है, कुम्भ राशि और मकर राशि में द्रेष्काण स्वामी एक जैसे है लेकिन ग्रहों का क्रम अलग है और क्रम के हिसाब से बुद्धि भाव में बुध आ जाते है जो कि इनको प्रत्येक क्षेत्र में क्रान्तिकारी विचारों वाला बनाते है।

द्रेष्काण में शनि ग्रह के होने से इनके अन्दर निष्पक्ष न्यायप्रियता और गम्भीर विश्लेषण करने की क्षमता होती है और इस गम्भीर विश्लेषण को क्रमवार पंचमेश बुध का बुद्धिबल और भाग्येश शुक्र का शुभ प्रभाव मिलता है जिसके चलते यह किसी भी कार्य को बहुत तेजी और सरलता से पूरा कर लेते है. शनि ग्रह के प्रभाव के चलते इनके अन्दर किसी भी चुनौती से लडने के लिए जिस जुझारुपन की आवश्यकता होती है वह कूट कूट के भरी होती है. शनि ग्रह के कारण इनके स्वभाव में कुछ आलस्य भी देखा जाता है लेकिन वह सदैव नहीं रहता. इनकी प्रतिभा और समझदारी तब देखने को मिलती है जब इनके सामने कोई बड़ी विपत्ति खड़ी होती है।

द्रेष्काण में बुध ग्रह के होने के कारण और बुध ग्रह का स्वयं पंचम भाव का स्वामी होने के कारण इनके अन्दर गजब का बुद्धिबल होता है. किस कार्य को कम से कम समय में कैसे पूर्ण करना है इनसे अच्छा कोई नहीं जानता. यह लोग बहस और विवादों में अपना समय बर्बाद करने से दूर रहते है और बेमतलब में अपने बुद्धिबल का प्रर्दशन नही करते है. बुध ग्रह के प्रभाव के चलते यह बहुत अच्छे सलाहकार साबित होते है, इनकी सलाह पाकर कई लोगों का जीवन सवर जाता है लेकिन इसके विपरीत यह खुद के लिए कभी कुछ नहीं सोचते।

द्रेष्काण में शुक्र ग्रह के होने के कारण इनके अन्दर दया व प्रेम के लिए एक विशेष सम्मान होता है. यह अपने इस पक्ष को बहुत मजबूती से सबके सामने रखते है कि सभी को स्वतन्त्रता से अपना जीवन जीने का अधिकार है इसलिए निर्भीक होकर जियो और दूसरो को भी जीने दो. यह लोग सदैव समाज के लिए कुछ न कुछ करते रहते है जिससे समाज की सोच का दायरा बढ़े. ये लोग कला और संगीत प्रेमी होते है. किसी भी चीज को कलात्मक रुप से प्रस्तुत करना इनको बहुत पसंद होता है. इनकी व्यंग्यात्मक टिप्पटियाँ कला और संगीत के प्रति इनकी रुचि को स्वतः ही प्रकट कर देती है।

कुम्भ राशि का चिन्ह हाथों में पानी से भरा घड़ा उठाये व्यक्ति है. यह चिन्ह सामर्थ्य, ज्ञान, विवेक और जीवन के प्रथम और प्राथमिक रहस्य को प्रकट करने वाली राशि है. हाथों में घड़ा उठाकर रखना सामर्थ्य को प्रकट करता है और कुम्भ राशि की वचनबद्धता को प्रकट करता है कि यह लोग वचन को कितना महत्व देते होगें, घड़ा ज्ञान और शक्ति संग्रह की क्षमता और गुप्तता को प्रकट करता है और घड़े में रखा जल, जीवन के मुख्य स्रोत्र और परमावश्यक चीजों के प्रति ध्यान आकर्षित करता है।

वायु तत्व वाली यह राशि वायु की तरह ही स्वतन्त्र रहना पसंद करती है. इनके विचार, कार्य करने का तरीका, कपड़े पहनने का तरीका, अपनी बातें वयक्त करने का तरीका परम्परागत नहीं होता. इनकी हर चीज थोड़ी हट कर होती है चाहें वह कुछ भी हो. यह क्रान्तिकारी विचारधारा वाली राशि दूसरे के कार्यो को देख दोहराने में यकीन नहीं करते, बल्कि एक नई सोच और विचारधारा देकर समाज को नई  दिशा देने के पक्ष में होते है जिससे बड़े और सकारात्मक परिवर्तन समाज में आयें। यह समाज के लिए सदैव कुछ करना तो चाहते है लेकिन उन लोगों के साथ भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहते।

कभी-कभी कुम्भ राशि के ऊपर आलसी और अकेले रहने का आरोप लगाया जाता है पर यह आरोप बहुत जल्दीबाजी में लगाये जाते है जोकि पूरी तरह से निराधार है. जिस प्रकार पंचतत्वों में प्रत्येक तत्व का अपना गुण और अवगुण होता है वैसे ही वायु तत्व की प्रधानता वाली यह राशि है जो मन की गति पर चलती है विचार मंथन अधिक करती है जिसमें यह अपने और समाज के उत्थान के विषय में अधिक सोचती है जिसके चलते यह लोग कभी कभी अधिक समय ले लेते है और लोग इनके ऊपर आलसी और अकेले रहने का आरोप लगाने लगते है लेकिन ऐसा होता नहीं है. एकान्त इनके बौद्धिक विकास और वैचारिक दोषों को दूर करने का एक तरीका मात्र है, जिस प्रकार एक वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में एकान्त में रहकर सारे शोध करता है वैसे ही यह लोग भी एकान्त में रहकर वैचारिक मंथन कर आगे बढते है।

इनके दोस्त व जीवनसाथी कई बार इनको सनकी और अस्थिर भी मान बैठते है लेकिन इनके लिए यह कहना भी बिल्कुल गलत होगा. जिस प्रकार प्रयोगशाला में बैठा वैज्ञानिक जैसे जैसे नये नये वैज्ञानिक अविष्कार कर आगे बढता रहता है वैसे ही यह लोग भी जीवन के सम्बन्ध में रोज मंथन कर नयी सीखी हुई चीज को प्रकट करते है जिससे इनके साथ रहने वाला व्यक्ति इनके वैचारिक पद्दोन्नति को समझ नहीं पाता और इनको सनकी या पागल कहकर सम्बोधित करता है।

सरल शब्दों में समझा जाते तो कुम्भ राशि बहुत बुद्धिमान होती है लेकिन वह यह किसी पर प्रकट नहीं करती. वह कई बार तर्क देकर आपको भ्रमित करने से भी बचती है क्योंकि वह यह जानती है कि आप नहीं समझ पायेगें और इनके बताये तर्क को गलत समझेगें. समझा जाये तो, न हि यह साकारात्मक होते है न हि नकारात्मक ही होते है यह इन दोनों के बीच में बैठकर दोनों तथ्यों का गम्भीर विश्लेषण करते रहते है जिससे इनका बौधिक और आध्यात्मिक विकास निरन्तर होता रहता है।

इस बीच यदि आप कभी भी इनको बातों के मायाजाल या शब्दों में फंसाने का प्रयास करते है या फिर इनकी बढ़ाई या चाटुकारिता करने का प्रयास करते है तो आप बिल्कुल असफल रहने वाले है क्योंकि यह आपसे ज्यादा गम्भीर है और शब्दों के रहस्य को आपसे ज्यादा समझते है इसलिए इनके सामने अपना परम्परागत मायाजाल बुनने का प्रयास कभी भी न करें।

जैसाकि हमने आपको पहले ही बताया कि पंचतत्वों में इनके अन्दर वायु तत्व की प्रधानता होती है जिसके चलते यह सदैव स्वतंत्र रहना पसन्द करते है और मुक्त रुप से अपने जीवन से सम्बन्धित सभी पक्षों पर शोध और उनपर परिक्षण करना चाहते है जिससे यह आन्तरिक और आत्मिक रुप से पूर्ण विकसित हो पाये।

स्वतंत्र रहने की यह प्रवृति और इच्छा ही इनके मन के सबसे बड़े डर को जन्म देती है, और वह डर होता है बन्धन, यह लोग अपने जीवन में हर उस कार्य से डरते है जिसमें बन्धन होता है. बन्धन चाहे किसी भी प्रकार का हो वचन से सम्बन्धित, जीवनसाथी से सम्बन्धित, प्रेम से सम्बन्धित या फिर नौकरी से सम्बन्धित बन्धन ही क्यों न हो यह लोग बिल्कुल पसन्द नहीं करते और मन ही मन इसे भय का रुप दे देते है जोकि इनके सभी प्रकार के विकास में बहुत बड़ा बाधक सिद्ध होता है।

मित्रों जीवन स्वयं एक अनुबंध है और हमें इस अनुबंध को स्वीकार करना ही पडेगा. वायु यदि पंचतत्वों के साथ न बन्धे तो इस प्रकृति और आपका निर्माण ही सम्भव न होता. नवग्रहों की गति नहीं होती, इस सृष्टि का विकास नहीं होता. जीवन में बन्धन को संकल्प मान कर कर्म करेगें तो जीवन सुखद रहेगा और यदि बन्धन को एक भार मानकर चलेगें तो यह जीवन आपके लिए और आपके आसपास रहने वाले सभी लोगों के लिए नीरस हो जायेगा और सभी कि दिलचस्पी भी आपसे समाप्त हो जायेगी इसलिए बन्धन से भागे न बल्कि सृष्टि के इस नियम को स्वीकार करें और बन्धन को अपनी शक्ति बनाकर अपने मन के इस डर से सदा के लिए मुक्त हो जायें।

परमेश्वर आपके अन्दर के सभी विकारों का नाश करें आप अपने सभी प्रकार के भयों पर विजय प्राप्त करें।

इसी के साथ हम आज के लिए आपसे आज्ञा चाहते है आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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