जन्म कुंडली के तीसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]तीसरा भावः तीसरे भाव को पराक्रम, उपचय, आपोक्लिम, दुश्चिक्य, वीर्य, धैर्य, कर्ण, भ्रात, सहज व तृतीय भाव के नाम से भी...
जन्म कुंडली के पहले भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]पहला भावः पहले भाव को प्रथम, लग्न, तनु, आत्मा, होरा, शरीर, देह, वपु, कल्प, मूर्ति, अंग, उदय, प्रथम केन्द्र के नाम स...