नवग्रह पूजन

भारतीय ज्योतिष के अनुसार राशि चक्र में भ्रमण करने वाले मुख्य नौ ग्रहों को नवग्रह की संज्ञा दी जाती है। नवग्रहों का राशि चक्र में भ्रमण पृथ्वी पर मौसम में उतार चढ़ाव और बड़ी वैश्विक सकारात्मक व नकारात्मक घटनाओं का  कारक माना जाता है। भ्रमण पथ पर नवग्रहों का गोचर मनुष्य को भी उनकी जन्म राशि एवं जन्म नक्षत्रानुसार अच्छा व बुरा प्रभाव देता है। ज्योतिष शास्त्र में बताये नियमों से और जन्म कुंडली के विश्लेषण से हमें यह ज्ञात होता है कि कब कौन सा ग्रह शुभ है और कब अशुभ है। जन्म कुंडली को आधार बनाकर शुभता को बढाने के लिए एवं अशुभता को न्यून करने हेतु भगवान आशुतोष के पूजन के साथ साथ नवग्रह पूजन का प्रचलन भी सदैव से रहा है।

हमारे मनीषियों ने कड़े शोध और परिश्रम से इस शास्त्र को पीढ़ीदर पीढ़ी श्रुति परम्परा द्वारा समझा और विकसित किया है। समाधि की स्थित में उन्होंने इस सृष्टि के हर तत्व (शक्ति) को उसके वास्तविक नाम से जाना और इस सृष्टि पर उसके उत्तरदायित्व को समझा और लोक कल्याण हेतु सभी से साझा किया। नवग्रहों का शुभ व अशुभ गोचर कहीं न कहीं हमारे ही पूर्व जन्मों में किये शुभ व अशुभ कर्मों का प्रतिफल है। नवग्रहों में से जब कोई ग्रह शुभ फल दे रहा होता है तब उसकी शुभता में वृद्धि हेतु बुद्धिमान लोग उस ग्रह की प्रसन्नता हेतु जाप एवं पूजन करते व करवाते है। और जब कोई ग्रह अशुभ फल दे रहा होता है तब उस ग्रह की शान्ति हेतु (बीज मंत्र, पौराणिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र, गायत्री मंत्र) से जाप व पूजन से शान्त करने का प्रयास करते है। नवग्रह जब उग्र व क्रोधित हो जाते है तब उन्हें शान्त करने के लिए मणि (रत्न) धारण, दान, ताबीज कई प्रकार के टोटके प्रयोग किये जाते है लेकिन जब सभी छोटे प्रयास काम नहीं करते तब अन्त में विधि विधान से नवग्रह शान्ति पूजा अनुष्ठान ही सार्थक सिद्ध होता है। जिसके अन्तर्गत सर्वप्रथम उग्र (क्रोधित) ग्रह से सम्बन्धित मंत्र से पूर्वनिश्चित संख्या तक ब्राह्मण द्वारा जाप किया जाता है और उसके पश्चात् जाप करी गयी संख्या का दशांश हवन विधि विधान से सम्पन्न किया जाता है। बच्चों की जन्म कुंडली में जब कोई बड़ा दोष विद्यमान हो तो उसके शान्ति विधान बचपन में ही करवा देना चाहिए।

आज कल जन्म दिवस पर केक काटने का प्रचलन है लेकिन वैदिक काल से ही हमारी भारत भूमि पर जन्म दिवस के दिन नवग्रहों के गोचर की शुभता अशुभता की जाँच कर वर्षफल पूजन के साथ साथ नवग्रह पूजन का प्रचलन था। आज भी जिन परिवारों पर भगवान आशुतोष की कृपा व पितरों का आशिर्वाद है वह जन्मदिवस के अवसर पर वर्षफल पूजन के साथ साथ नवग्रह पूजन जरुर करवाते है और गौ ग्रास के साथ साथ दान-पुण्य भी करते है।

नवग्रह पूजन व वर्षफल पूजन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे के स्लाईड पर जाएं।

सूर्य पूजन

सूर्य शान्ति जाप एवं पूजन


दो अंक चन्द्रमा के अधिपत्य में आता है। चन्द्रमा मन का प्रतीक है इसलिए यह लोग स्वभाव से काफी चंचल होते है। जिस प्रकार चन्द्रमा जल्दी जल्दी गोचरवश अपना स्थान बदलते रहते है वैसे ही ये लोग भी अपने मन को एक जगह केन्द्रित नही कर पाते। …और पढ़े

चन्द्रमा पूजन

चन्द्रमा शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े

मंगल पूजन

मंगल शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े

बुध पूजन

बुध शान्ति जाप एवं पूजन


दो अंक चन्द्रमा के अधिपत्य में आता है। चन्द्रमा मन का प्रतीक है इसलिए यह लोग स्वभाव से काफी चंचल होते है। जिस प्रकार चन्द्रमा जल्दी जल्दी गोचरवश अपना स्थान बदलते रहते है वैसे ही ये लोग भी अपने मन को एक जगह केन्द्रित नही कर पाते। …और पढ़े

बृहस्पति पूजन

बृहस्पति शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े

शुक्र पूजन

शुक्र शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े

शनि पूजन

शनि शान्ति जाप एवं पूजन


दो अंक चन्द्रमा के अधिपत्य में आता है। चन्द्रमा मन का प्रतीक है इसलिए यह लोग स्वभाव से काफी चंचल होते है। जिस प्रकार चन्द्रमा जल्दी जल्दी गोचरवश अपना स्थान बदलते रहते है वैसे ही ये लोग भी अपने मन को एक जगह केन्द्रित नही कर पाते। …और पढ़े

राहु पूजन

राहु शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े

केतु पूजन

केतु शान्ति जाप एवं पूजन


एक अंक सूर्य के अधिपत्य में आता है और नवग्रह मंडल मे सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। सूर्य सत्ता का प्रतीक है और सभी का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इसलिए 1 तारीख में जन्में लोगों में नेतृत्व करने की विलक्षण क्षमता होती है। इन्हें किसी भी प्रकार ..और पढ़े