जन्म कंडली के आठवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]आठवां भावः आठवें भाव को आयु, रन्ध्र, छिद्र, याम्य, लयपद, अष्टम, मृत्यु, क्षीर, गुड़, मूत्र, कृछ्, गुह्म, मरण, अंतक,...
जन्म कुंडली के सातवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]सातवां भावः सातवें भाव को विवाह, जामित्र, अस्त, स्मर, मद, मदन, काम, स्त्री, मृत्यु, मारक, चित्तोत्थ, कलत्र, दधि, सू...
जन्म कुंडली के छठे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]छठा भावः छठे भाव को क्षत्, वैरी, द्वेष्य, रिपु, ऋण, रोग, बीमारी, अरि, व्यसन, विघ्न, चोरस्थान, अंश, भय आदि नामों से ...
जन्म कुंडली के पांचवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]पाँचवा भावः पाँचवे भाव को यश, तनय, सुत, बुद्धि, विधा, आत्मज, वाक्, पंचम, विवेक, शक्ति, प्रभाव, तनुज, उदर, पुत्र, दे...
जन्म कुंडली के चौथे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]चौथा भावः चौथे भाव को बन्धु, अम्बु, पाताल, तुर्य, हिवुक, गृह, सुहृद, वाहन, यान, नीर, जल, मातृ, शौर्य, सुख, रसातल, व...
जन्म कुंडली के तीसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]तीसरा भावः तीसरे भाव को पराक्रम, उपचय, आपोक्लिम, दुश्चिक्य, वीर्य, धैर्य, कर्ण, भ्रात, सहज व तृतीय भाव के नाम से भी...
जन्म कुंडली के दूसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]दूसरा भावः दूसरे भाव को धन स्थान, कुटुम्ब, पणफर, द्रव्य, वित्त, वाक्, मारक, अक्षि, मृत्यु, कोश, अर्थ व द्वितीय स्था...
जन्म कुंडली के पहले भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]पहला भावः पहले भाव को प्रथम, लग्न, तनु, आत्मा, होरा, शरीर, देह, वपु, कल्प, मूर्ति, अंग, उदय, प्रथम केन्द्र के नाम स...