जन्म कुंडली के बारहवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]बारहवां भावः बारहवें भाव को अन्तिम, प्रान्त्य, रिष्क, अंत्य, ऋष्क, विनाश, व्यय, त्रिक आदि नामों से भी जाना जाता है।...
जन्म कुंडली के ग्यारहवे भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]ग्यारहवां भावः ग्यारहवें भाव को आगम, लाभ, प्राप्ति, भव, अब, उपान्त्य, पणफर, उपचय, उत्तम और आय आदि नामों से भी जाना ...
जन्म कुंडली के दसवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]दशवां भावः दशवें भाव को आज्ञा, तात, राज्य, मान, गगन, नभ, आस्पद, व्योम, मध्य, निपुण, व्यापार, खं, मेषूरण, कर्म, दशमं...
जन्म कुंडली के नवें भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]नवा भावः नवें भाव को धर्म, भाग्य, पुण्य, नवम, त्रिकोण, शुभ, तप, दया, पौत्रिक, गुरु, शुक्र, अर्जित नामों से भी जाना ...
जन्म कंडली के आठवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]आठवां भावः आठवें भाव को आयु, रन्ध्र, छिद्र, याम्य, लयपद, अष्टम, मृत्यु, क्षीर, गुड़, मूत्र, कृछ्, गुह्म, मरण, अंतक,...
जन्म कुंडली के सातवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]सातवां भावः सातवें भाव को विवाह, जामित्र, अस्त, स्मर, मद, मदन, काम, स्त्री, मृत्यु, मारक, चित्तोत्थ, कलत्र, दधि, सू...
जन्म कुंडली के छठे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]छठा भावः छठे भाव को क्षत्, वैरी, द्वेष्य, रिपु, ऋण, रोग, बीमारी, अरि, व्यसन, विघ्न, चोरस्थान, अंश, भय आदि नामों से ...
जन्म कुंडली के पांचवें भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]पाँचवा भावः पाँचवे भाव को यश, तनय, सुत, बुद्धि, विधा, आत्मज, वाक्, पंचम, विवेक, शक्ति, प्रभाव, तनुज, उदर, पुत्र, दे...
जन्म कुंडली के चौथे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]चौथा भावः चौथे भाव को बन्धु, अम्बु, पाताल, तुर्य, हिवुक, गृह, सुहृद, वाहन, यान, नीर, जल, मातृ, शौर्य, सुख, रसातल, व...
जन्म कुंडली के दूसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

[vc_row][vc_column][vc_column_text]दूसरा भावः दूसरे भाव को धन स्थान, कुटुम्ब, पणफर, द्रव्य, वित्त, वाक्, मारक, अक्षि, मृत्यु, कोश, अर्थ व द्वितीय स्था...