पाँचवा भावः पाँचवे भाव को यश, तनय, सुत, बुद्धि, विधा, आत्मज, वाक्, पंचम, विवेक, शक्ति, प्रभाव, तनुज, उदर, पुत्र, देवराज, पंचक, त्रिकोण आदि नामों से भी जाना जाता है।
पाँचवें भाव विचार का श्लोकः
यन्त्र-मन्त्रौं तथा विघां बुद्धेश्चैव प्रबन्धकम् ।
पुत्रराज्यापभ्रंशादीन् पश्येत् पुत्रालयाद् बुधः ।।
पाँचवें भाव के श्लोक का अर्थः पाँचवें भाव से मंत्र सम्बन्धी, यंत्र सम्बन्धी, बुद्धि, विधा सम्बन्धि, लेखन, सन्तान (पुत्र-पुत्री), राज्यच्युत होना सम्बन्धी बातों की जानकारी प्राप्त होती है।