श्रावण मास का महत्व

नमो नारायण मित्रों, मैं राहुलेश्वर, स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में जहाँ रोज होती है ज्ञानवर्धक बातें।

आज हम बात करेगें श्रावण मास के बारे में।

हिन्दू पंचांग के 12 महीनों में श्रावण मास सबसे प्रमुख है, इस मास को सभी मासों का राजा भी कहा जाता है, श्रावण मास को श्रवण और सावन मास भी कहा जाता है। ये मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इस मास की प्रत्येक तिथि में कोई न कोई पुण्यकारी व्रत बताया गया है। इस माह में भगवान शिव और विष्णु जी के लिए किया गया पूजन सभी कष्टों से मुक्ति देने वाला होता है। यह मास मौन रहकर, व्रत के नियमों का पालन करत हुऐ, भगवान शिव और विष्णु जी के अवतारों की कथाओं के श्रवण के लिए बहुत मुख्य बताया गया है। इस मास जो जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान शिव का रुद्री पाठ भक्तिभाव से करता है वह मृत्यु पश्चात् सीधा शिव लोक को जाता है।

श्रावण मास बहुत ही पुण्यफलदायी है, इसमें किये अच्छे और बुरे दोनों कार्यों फल अवश्य मिलता है, इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे है, श्रावण मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

श्रावण मास में क्या करना चाहिए।

  1. श्रावण मास में भगवान शिव का पूजन भक्तिभाव से करना चाहिए और प्रतिदिन शिवलिंग पर जल द्धारा अभिषेक करना चाहिए।
  2. पंचामृत भगवान शिव को बहुत प्रिय है इसलिए जल अभिषेक के पश्चात् पंचामृत से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।
  3. इस मास में शयन-शय्या का त्याग करके भक्ति भाव से भूमि पर शयन करना चाहिए।
  4. भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु जी का पूजन भी जरुर करना चाहिए, क्योंकि भगवान विष्णु के पूजन से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है।
  5. भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करने के लिए भोजन में प्रयोग होने वाली किसी प्रिय चीज का त्याग करना चाहिए।
  6. नवग्रहों का पूजन इस मास में अवश्य करना चाहिए, इस मास में नवग्रहों के लिए किया गया पूजन जन्म-कुण्डली के सभी बुरे योगों का नाश करता है।
  7. ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक घर पर आमत्रिंत करके भोजन, वस्त्र, दक्षिणा देकर आर्शिवाद प्राप्त करना चाहिए।
  8. इस मास में गायत्री मंत्र और शिव के पंचाक्षरी मंत्र (ओऊम् नमः शिवाय) का जाप करना चाहिए।
  9. भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए गले में 108 मनकों की रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए।
  10. इस मास का मुख्य उद्देश्य ईश्वरीय भक्ति में डूब जाना है, और भगवान की लीलाओं का मौन रहके श्रवण करना है, इसलिए इस मास में भजन कीर्तन करना चाहिए और गुरुजनों के समक्ष बैठकर उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

आईये अब जानियें श्रावण मास में क्या नहीं करना चाहिए।

  1. शिवलिंग का पूजन करते समय शिवलिंग पर तुलसी और हल्दी को न चढायें, क्योंकि तुलसी जी को विष्णु भगवान ने पत्नी रुप में ग्रहण किया था और शिव विष्णु जी को अपना आराध्य मानते है, इस सम्बन्ध से आराध्य पत्नी हुई जिसे शिव पर नही चढाया जाता और हल्दी स्त्री जाति से सम्बन्धित है और शिव पूर्ण वैराग्य रुप इसलिए हल्दी को भी शिवलिंग पर नही चढाया जाता।
  2. सुबह देर से न उठें, सावन के महीने में देर से शय्या छोडने वाला पाप का अधिकारी होता है और दीर्धकाल तक रोगी रहता है, इसलिए सुबह ब्रह्ममुर्ह्त में उठे और शिव भगवान का ध्यान करें।
  3. यह मास मौन रहकर शिव सत्य का ध्यान करने का है, इसलिए इस मास में झूठ बिल्कुल न बोलें, इस मास में झूठ बोलने वाला वाणी के विकार भोगता है।
  4. सावन के महीने में वर्षा अधिक होती है जिसके कारण वातावरण नमी युक्त रहता है, इसलिए इस माह में दूध, बैंगन और हरी सब्जियों को भोजन में नही लेना चाहिए, आर्युर्वेदीय दृष्टिकोण से समझे तो बैगन, दूध और हरी सब्जियाँ वात को असन्तुलित कर रोग उत्पन्न करती है इसलिए इस मास में इन चीजों से परहेज करना चाहिए।
  5. यह मास परम सत्य से साक्षात्कार करने का है और साथ ही ईश्वरीय गुणओं को धारण करने का है, इसलिए इस मास में असहाय वृद्ध, और गरीब लोगों का तिरस्कार और अपमान बिल्कुल न करें।
  6. इस मास में न बुरा देखें, न बुरा बोलें, न ही बुरा सुनों और न ही बुरा सोचें।
  7. भोले-भण्डारी शान्त स्वभाव में रहते हुऐ सृष्टि कल्याण में लीन रहते है, इन्हें शान्त रहना परम प्रिय है, इसलिए इस माह में क्रोध बिल्कुल न करें।
  8. यह समय ईश्वरीय लीलाओं का श्रवण कर ज्ञान धारण करने का होता है, और ज्ञान धारण में ब्रह्मचर्य का बहुत महत्व है इसलिए इस समय ब्रह्मचर्य नही टूटना चाहिए।
  9. मासाँहार और तामसिक चीजों का प्रयोग इस मास में बिल्कुल नही करना चाहिए, कई नशे से पीडित लोगों ने यह प्रचलित कर दिया है कि शिव भगवान पर भाँग और धतूरा चढता है इसलिए उनके भक्तों को भी प्रसाद रुप में भाँग और नशा करना चाहिए परन्तु यह बिल्कुल गलत है।
  10. भगवान शिव सबको एक भाव से देखते है चाहे वो देवता हो या दानव, इनके गण भी अलग-अलग प्रकृति के होने के बावजूद एक साथ रहते है, जो कि आपसी समझ और भाईचारे का प्रर्दशित करता है, इसलिए इस मास में धार्मिक विवादों, ग्रह क्लेश में नही पडना चाहिए।

मित्रों सृष्टि विविधताओं से भरी है और जहाँ विविधता होती है वहाँ सन्तुलन के लिए पथ प्रर्दशक ज्ञान की आवश्यकता पडती है, पवित्र ज्ञान सरलता से प्राप्त होता है, जितनी अधिक सरलता आप धारण करते है उतना ज्ञान आपमें समाहित हो पाता है। इस मास में शिशु जैसी सरलता धारण करें और परमेश्वर शिव के चरणों में अहंकार का त्याग कर ज्ञान अर्जित करें। श्रावण मास आपके लिए ज्ञानवर्धक, पुण्यवर्धक, पुष्टिवर्धक हो। इसी के साथ हम आज आपसे आज्ञा चाहते है।

।। ओऊम नमः शिवाय ।।

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