नमो नारायण मित्रों, मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।
मित्रों आज हम आपको बताने जा रहे है गुरु पूर्णिमा के दिन विधार्थियों के लिए कुछ बहुत ही खास उपाय।
प्राचीन काल में शिक्षा प्राप्त करने का माध्यम केवल गुरूकुल हुआ करते थे। गुरुकुलों में सभी जाति के बच्चों को समान रुप से शिक्षा लेने का अधिकार था। उस समय शिक्षा का व्यवसायिकरण नही हुआ था इसलिए गुरु परम पूज्यनीय माने जाते थे और गुरूओं के पूजन के लिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा का दिन निश्चित किया गया था। परन्तु आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूजन का नियम क्यों बना इसके पीछे एक रहस्य है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था जिन्होनें पूरे संसार को वेदों के ज्ञान से पिरचित करवाया था और वह आदिगुरू थे। महर्षि वेदव्यास की स्मृति के रुप में ही उनके जन्म के दिन गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन का नियम बना और आज तक निभाया जाता है।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूजन का एक और भी बहुत महत्वपूर्ण कारण है जिसे काफी कम लोग जानते है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के बिल्कुल अगले दिन से श्रावण मास शुरू हो जाता है श्रावण का अर्थ होता है श्रवण करना अर्थात ज्ञान रूपी अमृत को सुनना और अपने जीवन में उसे प्रयोग में लाना। आषाढ़ मास को गुरू का पूजन करने के पश्चात् उनसे आग्रह किया जाता है कि श्रावण मास में जो भी हमारे श्रवण करने योग्य बातें हो वह हमें बतायें और हमारे मानसिक, आत्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि करें।
आईयें अब मैं आपको वह उपाय बताऊगा जिन्हें विधार्थियों को आज के दिन जरुर करना चाहिए।
- आज के दिन स्नान करने के पश्चात् सर्वप्रथम अपने माता-पिता और घर के सभी बड़ों के चरण स्पर्श करके आर्शिवाद प्राप्त करें और उसके पश्चात् अपने गुरूजनों से आर्शिवाद प्राप्त करें।
- अज्ञान रुपी अन्धकार से ज्ञान रुपी प्रकाश ही मुक्ति दिलाता है इसलिए आज के दिन ज्ञान रुपी प्रकाश के कारक सूर्य को जल जरुर चढ़ाये। ज्ञान ही सच्चा मित्र होता है जो कभी साथ नही छोड़ता इसलिए सूर्य को जल चढाते समय ॐ मित्राय नमः मंत्र का जाप करें।
- गुरू पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन अवश्य करना चाहिए और पूजन करते समय विष्णु गायत्री मंत्र जरुर पढ़ें जोकि इस प्रकार है। ।। ॐ नारायणाय विधमहे, वासुदेवाय धीमही, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
- जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है, पढा हुआ भूल जाते है, सब कुछ आने के बावजूद परीक्षा के समय सब भूल जाते है। उन्हें आज के दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और सरस्वती जी के इस मंत्र का जाप यथाशक्ति करना चाहिए ।। ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ।।
- आज के दिन बच्चों को चने की पीली दाल और गुड़ गाय माता को भोग लगानी चाहिए ऐसा करने से विधा के क्षेत्र में तेजी से सफलता मिलती है।
- विधार्थियों को विधा ग्रहण करने के लिए तीव्र और तीक्ष्ण बुद्धि की आवश्यकता होती है जोकि ब्रह्मचर्य का पालन करने से प्राप्त होती है इसके लिए आज के दिन हनुमान जी का ध्यान जरुर करना चाहिए और शाम के समय हनुमान मन्दिर में घी का दीपक जलाकर आना चाहिए।
मित्रों आज के लिए इतना ही, कल फिल मिलेगें ज्ञान यात्रा में तब तक के लिए आज्ञा चाहते है आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।
।। नमो नारायण ।।