सातवां भावः सातवें भाव को विवाह, जामित्र, अस्त, स्मर, मद, मदन, काम, स्त्री, मृत्यु, मारक, चित्तोत्थ, कलत्र, दधि, सूप, सौभाग्य आदि नामों से भी जाना जाता है।
सातवें भाव विचार का श्लोकः
जायामध्वप्रयाणं च वाणिज्यं नष्टवीक्षणम् ।
मरणं च स्वदेहस्य जायाभावान्निरीक्षयेत् ।।
सातवें भाव के श्लोक का अर्थः पति या पत्नी, छोटी बड़ी यात्राओं, व्यापार, खोई हुई वस्तुओं से सम्बन्धित, मारक प्रभाव, साझेदारी आदि से सम्बन्धित बातों का विचार सातवें भाव से किया जाता है।