जन्म कुंडली के तीसरे भाव से क्या विचार किया जाता है, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली के तीसरे भाव से क्या विचार किया जाता है।

तीसरा भावः तीसरे भाव को पराक्रम, उपचय, आपोक्लिम, दुश्चिक्य, वीर्य, धैर्य, कर्ण, भ्रात, सहज व तृतीय भाव के नाम से भी जाना जाता है।

तीसरे भाव विचार का श्लोकः

विक्रमं भृत्यभ्रात्रादि चोपदेश प्रयाणकम् ।

पित्रोर्वा मरणं विज्ञो दुश्चिक्याच्च निरीक्षयेत् ।।

तीसरे भाव के श्लोक का अर्थः तीसरे भाव से जातक के पराक्रम, नौकरों, भाई-बहन, उपदेश देने की क्षमता, छोटी और बड़ी यात्राओं, माता-पिता की मृत्यु और स्वयं के आयुष्य का विचार किया जाता है।

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