छठा भावः छठे भाव को क्षत्, वैरी, द्वेष्य, रिपु, ऋण, रोग, बीमारी, अरि, व्यसन, विघ्न, चोरस्थान, अंश, भय आदि नामों से भी जाना जाता है।
छठे भाव विचार का श्लोकः
मातुलान्तकशंकानां शत्रूंश्चैव व्रणादिकान् ।
सपत्नीमातरं चापि षष्ठभावान्निरीक्षयेत् ।।
छठे भाव के श्लोक का अर्थः मामा व मामा का कुल, रोग, शत्रुओं, व्रण, सौतेली माँ आदि का विचार छठे स्थान से किया जाता है।