चौथा भावः चौथे भाव को बन्धु, अम्बु, पाताल, तुर्य, हिवुक, गृह, सुहृद, वाहन, यान, नीर, जल, मातृ, शौर्य, सुख, रसातल, वेश्म, हृत्, गेह, क्षिति, चतुर्थ, विधा, कण्टक के नाम से भी जाना जाता है।
चौथे भाव विचार का श्लोकः
वाहनान्यथ बन्धूँश्च मातृसौख्यादिकान्यपि ।
निधिं क्षेत्रं गृहं चापि चतुर्थात् परिचिन्तयेत् ।।
चौथे भाव के श्लोक का अर्थः चौथे भाव से जातक की माता व उनका स्वास्थ्य, बन्धुओं के सुख की स्थिति, वाहन सुख, जीवन खेत खलियान, निधि, घर की स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।