जन्म कुंडली के ग्यारहवे भाव से क्या विचार करना चाहिए, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर जी

जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव से क्या विचार किया जाता है।

ग्यारहवां भावः ग्यारहवें भाव को आगम, लाभ, प्राप्ति, भव, अब, उपान्त्य, पणफर, उपचय, उत्तम और आय आदि नामों से भी जाना जाता है।

ग्यारहवें भाव विचार का श्लोकः

नानावस्तु भवस्यापि पुत्रजायादिकस्य च ।

आयं वृद्धिं पशूनां च भवस्थानान्निरीक्षणम् ।।

ग्यारहवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक को जितनी भी वस्तुओं की प्राप्ति होती है, आय प्राप्ति के सभी साधन, सभी प्रकार के लाभ, पुत्रवधु, किसी भी प्रकार की वृद्धि, पशुधन व पशु रखने का स्थान, प्राप्ति, प्रशंसा आदि का विचार सदैव ग्यारहवें भाव से किया जाता है।

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