आठवां भावः आठवें भाव को आयु, रन्ध्र, छिद्र, याम्य, लयपद, अष्टम, मृत्यु, क्षीर, गुड़, मूत्र, कृछ्, गुह्म, मरण, अंतक, रण, पणफर, चतुरस्त्र, त्रिक और जीवन आदि नामों से भी जाना जाता है।
आठवें भाव विचार का श्लोकः
आयुं रणं रिपुं चापि दुर्गं मृतधनं तथा ।
गत्यनुकादिकं सर्वं पश्येद्रन्ध्राद्विचक्षणः ।।
आठवें भाव के श्लोक का अर्थः जातक की आयु, ऋण, शत्रुता, अपना क्षेत्र (किला), किसी व्यक्ति से वसीयत के बाद मिलने वाला धन सम्पत्ति व किसी की मृत्यु के पश्चात् बीमा कम्पनी से मिलने वाला धन, क्लेश, अपवाद, मन का डर, मृत्यु, दासता, स्त्रियों के सौभाग्य आदि का विचार आठवें भाव से किया जाता है।