पाँच मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

आज हम आपको पाँच मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देगें और बतायेगें कि कौन से जन्म नक्षत्र, जन्म लग्न और जन्म राशि वाला जातक इसे धारण कर सकता है और साथ में यह भी बतायेगें कि शिव महापुराण का वह कौन सा मंत्र है जिससे पाँच मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध किया जाता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष स्वयं साक्षात् रुद्र स्वरुप होता है। पाँच मुखी रुद्राक्ष के पाँचों मुखों में भगवान शिव के सघोजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर और वामदेव रुप साक्षात् निवास करते है। पाँच मुखी रुद्राक्ष के पाँच मुख पंचतत्वों जल, भूमि, वायु, अग्नि और आकाश को भी प्रदर्शित करते है। इस रुद्राक्ष में पंचतत्वों की शक्ति समाहित होती है। इस रुद्राक्ष की उत्तपत्ति सबसे अधिक होती है और इसका प्रयोग भी और सभी रुद्राक्षों की तुलना में सबसे अधिक होता है लेकिन फिर भी यह रुद्राक्ष आसानी से प्राप्त हो जाता है और इसका मूल्य भी बहुत कम आता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करना बहुत शुभ व पुण्यफलदायी होता है। इसको धारण करने से जीवन की समस्याऐं धीरे धीरे कम होने लगती है। इस रुद्राक्ष को आत्मा का स्वरुप भी बताया गया है इसलिए जब भी कोई जातक इस रुद्राक्ष को नियमपूर्वक विधि-विधान के साथ धारण करता है तो धारण करने वाला जीव स्वतः ही अपना व अपने कर्मों का विश्लेषण करते हुए बुरे कर्मों को छोड़ सही मार्ग पर चलने लगता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष पर बृहस्पति ग्रह का अधिपत्य आता है जोकि सुख, शुद्ध ज्ञान, समृद्धि, गौरव, सरलता, सफलता व विस्तार का प्रतीक है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह यदि जन्म कुण्डली में कमजोर हो तो मज्जा सम्बन्धी, चर्बी बढना, गुर्दें से सम्बन्धित, मधुमेह, पाचन सम्बन्धी, जाँघ और कान सम्बन्धी रोग शरीर में बढते है। बृहस्पति ग्रह की शान्ति हेतु और इन रोगों से बचाव हेतु पाँच मुखी रुद्राक्ष बहुत कारगार सिद्ध होता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष पर बृहस्पति ग्रह का अधिपत्य आता है इसलिए जो लोग बृहस्पति से सम्बन्धित कार्यों में लिप्त है उनके लिए भी पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण बहुत शुभ साबित होता है। जो लोग धर्म कार्य, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, धर्म उपदेशक, धर्मार्थ संस्थान, राजनीति, न्यायालय, बैंकिग, अध्यापन, शिक्षक, पुस्तक विक्रेता, छपाई का कार्य, ज्वैलरी बनाने व बेचने का कार्य, फर्नीचर व लकड़ी से सम्बन्धित कार्यों में लगे है उनके लिए पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ साबित होता है।

जन्म-कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह खराब स्थिति में हो जैसे कि अपनी नीच राशि मकर में हो, राहु के साथ किसी खराब भाव में बैठा हो, शत्रु राशि में विराजमान हो, शत्रु ग्रह के साथ हो, क्रूर ग्रह की दृष्टि प्रभाव में हो, निरन्तर परिवार में झगड़े हो रहे हो और जीवन में कोई दिशा नहीं मिल रही हो तो पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण करना आपको काफी राहत पहुँचा सकता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष के सम्बन्ध में कुछ और विशेष बातें।

  1. जिनका जन्म नक्षत्र पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद हो वह लोग निसंकोच पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  2. जिनका जन्म लग्न व जन्म राशि धनु व मीन हो वो लोग भी पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  3. जो लोग आत्म ज्ञान को प्राप्त करना चाहते है वह लोग पाँच मुखी रुद्राक्ष को जरुर धारण करें।
  4. जिन लोगों के परिवार में सदैव लडाई झगड़ों का वातावरण बना रहता है उन्हें पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण जरुर करना चाहिए।
  5. अंकशास्त्र के अनुसार जिनका मूलाँक व भाग्याँक 3 हो उन लोगों को भी पाँच मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।
  6. पाँच मुखी रुद्राक्ष गुर्दों, चर्बी, ह्दय, पेट, पाचन और मज्जा सम्बन्धित रोगों में जन्म कुण्डली विश्लेषण के पश्चात् धारण किया जाये तो स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
  7. पाँच मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र जो शिवमहापुराण में बताया गया है वह इस प्रकार है।

।। ओऊम ह्रीं नमः ।।

  1. रुद्राक्ष को सदैव शुक्ल पक्षीय सोमवार के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात् पहनना चाहिए।

कई जगह रुद्राक्ष के सम्बन्ध यह बातें कही जाती है कि रुद्राक्ष धारण मात्र से ही नर हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते है परन्तु मैं निजि रुप से यह नहीं मानता। रुद्राक्ष धारण करने से पाप मुक्त होने के मार्गों का ज्ञान होता है और साथ में हम मानसिक और आत्मिक रुप से मजबूत होते है जिससे हम बुरें कर्म फलों को सरलता से भोग पायें। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और यह अकाट्य सत्य है।

इसी के साथ में आज के लिए आप से आज्ञा चाहता हूँ कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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