छह मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

आज हम आपको छह मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देगें और बतायेगें कि कौन से जन्म नक्षत्र, जन्म लग्न और जन्म राशि वाला जातक इसे धारण कर सकता है और साथ में यह भी बतायेगें कि शिव महापुराण का वह कौन सा मंत्र है जिससे पाँच मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध किया जाता है।

छह मुखी रुद्राक्ष को कार्तिकेय भगवान का स्वरुप माना जाता है। नवग्रहों में शुक्र ग्रह इसके संचालक है जोकि धन, सम्पत्ति, आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, भोग-विलास, प्रेम, संगीत, गुप्तेन्द्रियों, वीर्य, जीवनसाथी, गला, मुख, सुन्दरता, काम-वासना और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं को देने वाले है। शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव जातक को राजा जैसा वैभव और मान-प्रतिष्ठा दिलवाता है और अशुभ प्रभाव रोगी और परिवार में अशान्ति व क्लेश का कारण बनता है।

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को माता लक्ष्मी का भी आर्शिवाद प्राप्त होता है। भगवान कार्तिकेय स्वरुप होने के कारण इसको धारण करने से जातक के पराक्रम में वृद्धि होती है। जो लोग भीड़ में जाने से घबराते है और जिन लोगों को सभा सम्बोधन में घबराहट होती है उनके लिए इस रुद्राक्ष को धारण करना बहुत शुभ साबित होता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह यदि जन्म कुण्डली में कमजोर हो तो नेत्रों में विकार, यौन रोग, मूत्र रोग, मुँह सम्बन्धि रोग, लीवर रोग, पेट की आतों के रोग शरीर में बढते है। शुक्र ग्रह की शान्ति हेतु और ऊपर बताए रोगों से बचाव हेतु छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत कारगार सिद्ध होता है।

छह मुखी रुद्राक्ष पर शुक्र ग्रह का अधिपत्य आता है इसलिए जो लोग शुक्र से सम्बन्धित कार्यों में लिप्त है उनके लिए भी छह मुखी रुद्राक्ष धारण बहुत शुभ साबित होता है। जो लोग बैंकिग, फाईनैन्स, वित्त नियंत्रक, शेयर मार्केट, स्वर्ण व्यापारी, आर्थिक सलाहकार, होम लोन. गोल्ड लोन, नवरत्नों का व्यवसाय, दुर्लभ चीजों का व्यवसाय, प्रोपर्टी डीलिंग, फिल्म निर्माण, विज्ञापन, सौन्दर्य प्रसाधन, इत्र, फूलों, वस्त्र निर्माण, वस्त्रों की प्रिटिंग, लकड़ी सम्बन्धि व्यवसाय में लिप्त हो उनके लिए छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ साबित होता है।

जन्म-कुण्डली में जब शुक्र ग्रह खराब स्थिति में हो जैसे कि अपनी नीच राशि कन्या में हो, सूर्य के साथ किसी खराब भाव में बैठा हो, शत्रु राशि में विराजमान हो, शत्रु ग्रह के साथ हो, क्रूर ग्रह की दृष्टि प्रभाव में हो तो छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ साबित हो सकता है।

छह मुखी रुद्राक्ष के सम्बन्ध में कुछ और विशेष बातें।

  1. जिनका जन्म नक्षत्र भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा हो वह लोग निसंकोच छह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  2. जिनका जन्म लग्न व जन्म राशि वृषभ व तुला हो वो लोग भी छह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  3. जो लोग भीड़ में जाने से डरते है और सभाओं को सम्बोधित करने में असहजता महसूस करते है उनको विधि विधान से छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
  4. जिन लोगों को नजरदोष ज्यादा प्रभावित करती है उनके लिए 6 मुखी रुद्राक्ष बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।
  5. जिन लोगों का अकारण जीवनसाथी से अत्यधिक झगड़ा होता रहता है उनके लिए छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ साबित होता है।
  6. अंकशास्त्र के अनुसार जिनका मूलाँक व भाग्याँक 6 हो उन लोगों को भी छह मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।
  7. छह मुखी रुद्राक्ष नेत्रों में विकार, यौन रोग, मूत्र रोग, मुँह सम्बन्धि रोग, लीवर रोग, पेट की आतों के रोगों को ठीक करने में सहायक होता है।
  8. छह मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र जो शिवमहापुराण में बताया गया है वह इस प्रकार है।

  ।। ओऊम ह्रीं हुं नमः ।।

  1. रुद्राक्ष को सदैव शुक्ल पक्षीय सोमवार के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात् पहनना चाहिए।

कई जगह रुद्राक्ष के सम्बन्ध यह बातें कही जाती है कि रुद्राक्ष धारण मात्र से ही नर हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते है परन्तु मैं निजि रुप से यह नहीं मानता। रुद्राक्ष धारण करने से पाप मुक्त होने के मार्गों का ज्ञान होता है और साथ में हम मानसिक और आत्मिक रुप से मजबूत होते है जिससे हम बुरें कर्म फलों को सरलता से भोग पायें। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और यह अकाट्य सत्य है।

इसी के साथ में आज के लिए आप से आज्ञा चाहता हूँ कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

छः मुखी रुद्राक्ष

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