सात मुखी रुद्राक्ष, भाग्य मंथन, गुरु राहुलेश्वर

सात मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

आज हम आपको सात मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देगें और बतायेगें कि कौन से जन्म नक्षत्र, जन्म लग्न और जन्म राशि वाला जातक इसे धारण कर सकता है और साथ में यह भी बतायेगें कि शिव महापुराण का वह कौन सा मंत्र है जिससे सात मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध किया जाता है।

सात मुखी रुद्राक्ष को श्री विष्णुप्रिया महालक्ष्मी जी का स्वरुप माना जाता है। सूर्य की सात रश्मियों से लेकर सप्तऋषियों, सप्तसागर, सप्ततलों की सभी शक्तियाँ इस रुद्राक्ष में बतायी गयी है। इसे धारण करने वाले जातक को अष्टमहालक्ष्मी का आर्शिवाद प्राप्त होता है और जीवन के सभी प्रकार के सुख व वैभव प्राप्त होते है।

पदम पुराण के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष के सातों मुखों में सात महाबलशाली नागों का भी निवास है जिनका नाम क्रमशः इस प्रकार है, अनंन, कर्कट, पुण्डरीक, तक्षक, विषोल्बण, कारोष और शंखचूड। इस रुद्राक्ष को धारण करने से नागजाति का आर्शिवाद तो प्राप्त होता ही है साथ में नागों के आराध्य महादेव भी प्रसन्न रहते है।

सात मुखी रुद्राक्ष के संचालक शनि ग्रह है जोकि आयु, मृत्यु, दरिद्रता, दुख, निर्धनता, अपमान, परिश्रम, नीरसता, थकावट, मन्द गति, अहंकार, आत्म त्याग, दासता, कारावास, प्राकृतिक आपदाओं, निम्न स्तर के कार्य, अकाल और बुढापे पर अपना अधिपत्य रखते है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि ग्रह के कमजोर होने पर शरीर बहुत निर्बल हो जाता है जिसके चलते शरीर की नसों सम्बन्धी रोग, रक्त विकार, उदर सम्बन्धी रोग, हड्डी सम्बन्धी रोग, वधिरता, मिर्गी, पक्षाघात, पैरों के रोग, नपुंसकता, स्नायु रोग, वायु रोग शरीर को बार-बार परेशान करते है। ऐसी स्थिति में सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपको काफी राहत मिल सकती है।

सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि ग्रह का अधिपत्य आता है इसलिए जो लोग शनि से सम्बन्धित कार्यों में लिप्त है उनके लिए भी सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ साबित होता है। भवन-भूमि से सम्बन्धित कार्य, बीमा, हास्पिटल, दवा वितरक, बिजली के उपकरण, कम्प्यूटर पार्ट बनाने वाली कम्पनी, फोन बनाने वाली कम्पनी, आयात-निर्यात, ट्रान्सपोर्ट, लोजिस्टिक, दंत चिकित्सक, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, भौतिक शास्त्री, प्रशासनिक अधिकारी राज्यपाल व मंत्री पद पर कार्यरत लोग सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।

जन्म-कुण्डली में जब शनि ग्रह खराब स्थिति में हो जैसे कि अपनी नीच राशि मेष में हो, सूर्य के साथ किसी खराब भाव में बैठा हो, शत्रु राशि में विराजमान हो, शत्रु ग्रह के साथ हो, साढेसाती या ढैय्या का योग बना रहा हो या फिर राहु केतु के साथ बैठकर चांडाल योग का निर्माण कर रहा हो तो शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करने हेतु सात मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।

सात मुखी रुद्राक्ष के सम्बन्ध में कुछ और विशेष बातें।

  1. जिनका जन्म नक्षत्र पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद हो वह लोग निसंकोच सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  2. जिनका जन्म लग्न व जन्म राशि मकर व कुम्भ हो वो लोग भी सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  3. जन्म से ही शोषण और पीड़ित होने का भाव मन में हो तो 7 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  4. अचानक धन का बड़ा नुकसान होने लगे और थमने का नाम न लें तो भी सात मुखी रुदाक्ष धारण कर सकते है।
  5. जिस जातक के ऊपर साढेसाती या ढैय्या चल रही हो वह लोग भी शनि शान्ति के लिए सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  6. अंकशास्त्र के अनुसार जिनका मूलाँक व भाग्याँक 8 हो उन लोगों को भी छह मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।
  7. जो लोग लम्बे समय से बीमार हो और चाहकर भी ठीक न हो पा रहे हो तो विधि विधान के साथ पूजन कर रुद्राक्ष धारण करने से जल्द ही बीमारी ठीक हो जाती है।
  8. अष्टमहालक्ष्मी का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए भी पूजन के पश्चात् शुक्ल पक्षीय शुक्रवार के दिन सात मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।
  9. सात मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र जो शिवमहापुराण में बताया गया है वह इस प्रकार है।

  ।। ओऊम हुं नमः ।।

  1. रुद्राक्ष को सदैव शुक्ल पक्षीय सोमवार के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात् पहनना चाहिए।

कई जगह रुद्राक्ष के सम्बन्ध यह बातें कही जाती है कि रुद्राक्ष धारण मात्र से ही नर हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते है परन्तु मैं निजि रुप से यह नहीं मानता। रुद्राक्ष धारण करने से पाप मुक्त होने के मार्गों का ज्ञान होता है और साथ में हम मानसिक और आत्मिक रुप से मजबूत होते है जिससे हम बुरें कर्म फलों को सरलता से भोग पायें। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और यह अकाट्य सत्य है।

इसी के साथ में आज के लिए आप से आज्ञा चाहता हूँ कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

छः मुखी रुद्राक्ष

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