लक्ष्यहीन हैं, तो जरुर करें

लक्ष्यहीन हैं, तो जरुर करें माता आदि लक्ष्मी को प्रसन्न इस बीज मंत्र से।

नमो नारायण मित्रों,

मैं राहुलेश्वर और आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है भाग्य मंथन में।

मित्रों आज हम बात करेगें उनकी जो अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करना चाहते है और माता महालक्ष्मी का आर्शिवाद प्राप्त करना चाहते है।

यदि आप अपने जीवन में तेजी से बिना रुकावट के सफलताओं को पाना चाहते है तो उसके लिए आपको एक लक्ष्य ढूढ़ना पडेगा। जी हाँ, बिना लक्ष्य के लक्ष्मी जी कभी कहीं आती जाती नहीं है।

लक्ष्य निर्धारण के बाद आपको अपने लक्ष्य के प्रति दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता और व्यवस्था सब बनाकर लक्ष्य के प्रति समर्पित होना पडेगा। समर्पण भावना भी कुछ इस प्रकार की होनी चाहिए जैसे कि ठीक माता लक्ष्मी विष्णु जी के प्रति रखती है।

जब आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते है तब अष्टलक्ष्मी जी के सबसे पहले स्वरुप की चर्चा होती है जिन्हें आदिलक्ष्मी कहा जाता है। पुराणों में ऐसा बताया जाता है कि माता आदिलक्ष्मी ऋषि भृगु की बेटी है और इनकी माता का नाम ख्याति है। आदिलक्ष्मी जी के माता पिता का वर्णन आज के युग में कितना सत्य है इसे आप ऋषि शब्द और ख्याति शब्द के अर्थ को जानकर भी ज्ञात कर सकत है।

ऋषि का अर्थ ज्ञान का प्रकाश है जिसमें आप स्वयं के आस्तित्व को जान पाते है अपने जीवन के कारण और उसके महत्व को जान पाते है और मुख्य रुप से यह समझ पाते है कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है। जब आपको ज्ञान के प्रकाश में इस बात का पता चल जाता है कि आपके जीवन का एक मात्र लक्ष्य क्या है तो आप श्रद्धापूर्वक लक्ष्यप्राप्ति के प्रयासों में लग जाते है और तब आपको आपकी मेहनत के लिए ख्याति प्राप्त होती है।

अब यदि आप आज के युग में अपने चारों तरफ नजर घुमा के देखेगें तो ज्ञानी पुरुष और ख्याति प्राप्त पुरुष को स्वतः ही लक्ष्मी की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए पुराणों में भी भृगु ऋषि और ख्याति के संगम होने से आदिलक्ष्मी की उत्पत्ति बतायी गयी है।

आजकल की तेज भागती दौडती जिन्दगी में शिक्षा का स्तर बहुत तेजी से गिर रहा है जहाँ बस धन प्राप्ति के अवसर कैसे बढायें जाये यह सिखाया जाता है। विधायलयों में यह तो सिखाया जाता है कि पैसा कैसे कमाया जायें पर यह नहीं सिखाया जाता कि कमायें हुऐ पैसे का सर्वोत्तम प्रयोग कैसे हो सकता है। इसी अन्धी दौड़ में भागते भागते जीव आध्यात्मिक रुप से ज्ञान शून्य हो चुका है। आध्यात्मिक मूल्यों को बिना अपनायें आप जीवन में केवल धन प्राप्त कर सकते है जोकि आपको आत्मिक रुप से प्रसन्न नहीं कर सकता।

इसके लिए आपको अपने अन्दर से उस ज्ञान और चेतना को जागृत करना होगा जो आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल बनाये और आपको भौतिक धन के साथ-साथ अभौतिक तृप्ति भी प्रदान करें। ऋषि और ख्याति के संगम से जिन माँ आदिलक्ष्मी की उत्पत्ति होती है उनका भौतिक और अभौतिक आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए हम आपको एक छोटा सा मंत्र बताने जा रहे  जिसे आपको नवरात्रि के दिनों में शाम 8 बजे से 11 बजे के बीच करना है। इस मंत्र जाप को आप कम से कम 11 मालाऐं करें। मंत्र जाप में यदि आप कमलगट्टे की माला प्रयोग करें तो सर्वोत्त्म रहेगा। भोग में मखानों की खीर का भोग लगायें। पूजा के दौरान गाय के घी का दीपक लगाये। इस प्रयोग को आप शुक्ल पक्षीय शुक्रवार के दिन भी कर सकते है।

आईये जानें मंत्र क्या है।

Adi Laxmi Maa, Guru Rahuleshwar Ji, Bhagya Manthan, Ashtlaxmi Mantra
Adi Laxmi Maa, Guru Rahuleshwar Ji, Bhagya Manthan, Ashtlaxmi Mantra

।। ओऊम श्रीं ।।

इस मंत्र को जितनी अधिक लगन और पवित्रता के साथ जपेगें उतनी तेजी से आप अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होते चले जायेगें।
आप सभी को अपने अपने जीवन के लक्ष्य ज्ञात हो उन्हें आप अच्छे से पूरा कर पायें मेरी माँ आदिलक्ष्मी से यही प्रार्थना है।
आप सभी का जीवन शुभ व मंगलमय हो।
।। नमो नारायण ।।

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