पितृ गायत्री मंत्र

नमो नारायण मित्रों, मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

मित्रों कलयुग में समय रथ जैसे जैसे आगे की तरफ बढता जा रहा है वैसे वैसे मनुष्य भोगों की तरफ अधिक आसक्त होकर अपने कर्तव्यों और दायित्वों से दूर भागता नजर आ रहा है। कलयुग से प्रभावित मनुष्यों की बुद्धि अच्छे और शुभ कर्मों को भी ढोंग और अन्धविश्वास की दृष्टि से देख रही है। इस समय में मनुष्य अपने ही बुरे कर्मों के जाल में फंस कर दुख और पीड़ा भोग रहा है।

इस दुख और पीड़ा के जाल से बाहर निकालने का कार्य हमारे पितरों का होता है लेकिन मनुष्य ने अपने पितरों की अवहेलना करके उनकों भी रुष्ट किया हुआ है। पितरों के रुष्ट होने का मतलब सीधे सीधे सर्वनाश है। पितृ हमारे जन्म का कारण होते है और हमें समय समय पर गलत मार्ग से हटा कर सही दिशा देते है। इसलिए जीवन को सही दिशा में बनाये रखने के लिए समय-समय पर हमें अपने पितरों के लिए पूजा-पाठ व दान धर्म जरुर करना चाहिए।

कलयुग में पितृ सम्बन्धी दोषों की उत्तपत्ति सबसे ज्यादा होती है इसलिए इस दोष की शान्ति के लिए समय समय पर आवश्यक कर्म व उपाय जरुर करने चाहिए।

पितृ दोष को शान्त करने के लिए और पितरों का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए पितृ गायत्री मंत्र सबसे श्रेष्ठ है। पितृ पक्ष में इस मंत्र का जाप करने से रुष्ट पितृ तृप्त होकर अपनी कृपा मंत्र जाप करने वाले के ऊपर जरुर करते है।

पितृ गायत्री मंत्र

ओऊम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।

इस मंत्र का जाप पितृ पक्ष और अमावस्या के दिन करने से तत्काल पितृ शान्ति होती है। इस मंत्र का जाप करते समय भगवान विष्णु के चरणों का ध्यान करना चाहिए।

नारायण आपके पितरों को परमशान्ति दें, पितृ पक्ष आप सभी के लिए शुभ रहें।

इसी के साथ हम आप सभी से आज्ञा चाहते है आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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