दो मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

आज हम आपको दो मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देगें और साथ में यह भी बतायेगें कि कौन से जन्म लग्न और जन्म राशि वाला जातक इसे धारण कर सकता है।

दो मुखी रुद्राक्ष में दो सीधी रेखाऐं होती है जिसके कारण इसे दो मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इसे मनोकामनापूर्ति रुद्राक्ष भी कहा जाता है। यह साक्षात अर्धनारीश्वर स्वरूप होता है जिसमें माता पार्वती और शिव दोनों की शक्ति समाहित होती है। कर्क लग्न और राशि वालों के लिए यह रूद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ होता है। सूर्य और चन्द्रमा दोनों की शक्ति इस रुद्राक्ष में होती है। इस रुद्राक्ष में सूर्य की शक्ति हमारे पूर्वजन्म जनित सभी पापों को भस्म करती है और चन्द्रमा की शान्ति और शीतलता मन को एकाग्र कर भोग और इच्छाओं से मुक्त कर लक्ष्य की तरफ केन्द्रित करती है। अग्नि और जल के पूजन से जो फल प्राप्त होता है वह फल इस रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।

यह रुद्राक्ष भौतिक-अभौतिक, ब्रह्मा और जीव, पुरूष और नारी, परमात्मा और आत्मा का प्रतीक है। इसे धारण करने परम सत्य के दर्शन जल्दी होते है। इसे धारण करने से जातक भौतिक और अभौतिक दोनों स्तरों पर विजय श्री को प्राप्त करता है। यह रुद्राक्ष सांसारिक सुखों में वृद्धि कर जातक को समृद्धि देता है। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्त करने में सबसे ज्यादा कारगार है।

दो मुखी रुद्राक्ष नवग्रहों में चन्द्रमा के अधिपत्य में आते है। भगवती दुर्गा जी की कृपा भी इस रुद्राक्ष को धारण करने से प्राप्त होती है। चन्द्रमा दोष से उत्पन्न रोगों में दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बहुत लाभ होता है। मानसिक रोग, रक्त संचार में दिक्कत, अत्यधिक चंचलता, चिड़चिड़ापन, खाँसी, जुखाम व नजला, फेफड़ों के रोग, गुर्दा रोग, स्नायु रोग, बायीं आँख के रोग, खून की कमी से होने वाले रोग, स्त्रियों की मासिक धर्म से सम्बन्धित रोगों में दो मुखी रुद्राक्ष बहुत लाभr पहुंचाता है।

जन्म-कुण्डली में जब मातृपरित्यक्त योग हो, केमद्रुम योग हो, बालअरिष्ट योग हो, चन्द्रमा नीच राशिस्थ हो, चन्द्रमा पापकर्तकी योग से पीडित हो, चन्द्रमा क्रूर ग्रहों से पीडित हो, चन्द्रमा बहुत कमजोर हो तो दो मुखी रुद्राक्ष को मंत्र सिद्ध कर धारण करने से बहुत लाभ होता है।

दो मुखी रुद्राक्ष के सम्बन्ध में कुछ और विशेष बातें।

  1. जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र में होता है वह लोग निसंकोच दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  2. जिनका जन्म लग्न व जन्म राशि कर्क हो वह लोग भी दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  3. जिनकी वृश्चिक लग्न व वृश्चिक राशि हो वह भी दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  4. जो लोग देवी साधक होते है वह लोग दो मुखी और पांच मुखी रुद्राक्ष बिना किसी से पूछे धारण कर सकते है।
  5. जिनकी माता का देहान्त हो गया हो, वह लोग भी इस रुद्राक्ष को माता के रुप में धारण कर सकते है।
  6. दो मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र जो शिव पुराण में बताया गया है वह इस प्रकार है।  ।। ओऊम नमः ।।
  7. रुद्राक्ष को सदैव शुक्ल पक्षीय सोमवार के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात् पहनना चाहिए।

कई जगह रुद्राक्ष के सम्बन्ध यह बातें कही जाती है कि रुद्राक्ष धारण मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते है परन्तु मैं निजि रुप से यह नही मानता। रुद्राक्ष धारण करने से पाप मुक्त होने के मार्गों का ज्ञान होता है और साथ में हम मानसिक और आत्मिक रुप से मजबूत होते है जिससे हम बुरें कर्म फलों को सरलता से भोग पायें। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और यह अकाट्य सत्य है।

आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में, तब तक के लिए आज्ञा चाहते है। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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