तीन मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

आज हम आपको तीन मुखी रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देगें और साथ में यह भी बतायेगें कि कौन से जन्म लग्न और जन्म राशि वाला जातक इसे धारण कर सकता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष देव और देवी दोनों प्रकार की त्रि-शक्ति की एकता को प्रकट करने वाला रुद्राक्ष है। यह बहुत ही शक्तिशाली रुद्राक्ष होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व प्रधान होता है। जिस प्रकार अग्नि में तप कर स्वर्ण में और चमक आती है वैसे ही इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले के विचारों और स्वभाव में शुद्धता और स्थिरता आती है। मेष, वृश्चिक और धनु लग्न व जन्म राशि में जन्म लेने वालों के ले यह रुद्राक्ष बहुत शुभ होता है। जब मंगल और सूर्य से सम्बन्धित कोई बड़ा दोष जन्म-कुण्डली में हो तो तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बहुत लाभ होता है।

इस रुद्राक्ष में जो तीन रेखाऐं होती है वह सृष्टि में त्रितत्वों की शक्ति को प्रकट करती है। जो लोग तत्व रुप से ईश्वर के सभी रुपों को समझने में लगे है उन्हें यह रुद्राक्ष धारण करने से बहुत लाभ होता है। कुण्डलिनि जागरण और ध्यान योग करने वाले लोगों के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत अच्छा रहता है। परा शक्ति, परापरा शक्ति और अपरा शक्तियों का यह केन्द्र माना गया है।

जब कोई मनुष्य किसी बुरी लत का शिकार हो जाये और बहुत चाह कर भी उससे न निकल पाये तो इस रुद्राक्ष को गुरु के हाथों से धारण करने पर बृहस्पति और मंगल की शुभ शक्तियाँ सही दिशा में मार्गदर्शन करती है। विधा के क्षेत्र में यदि अकारण ही अड़चने आ रही हो तो तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तीन मुखी रुद्राक्ष नवग्रहों में मंगल के अधिपत्य में आता है। मंगलग्रह को ज्योतिष शास्त्र में सेनापति का दर्जा प्राप्त है। कार्तिकेय भगवान की कृपा और शक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करने से प्राप्त होती है। रक्त, कान, हड्डियों, मज्जा, गुर्दा, रक्तचाप, बवासीर, अल्सर आदि रोगों में तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत लाभदायक होता है।

जन्म-कुण्डली में जब मंगल किसी खराब प्रभाव में हो, राहु या शनि के साथ विराजमान हो, अपनी नीच राशि कर्क में स्थित हो, या फिर शत्रु ग्रहों से परास्त स्थिति में हो, मंगली योग बनाकर बैठा हो तो तीन मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।

तीन मुखी रुद्राक्ष के सम्बन्ध में कुछ और विशेष बातें।

  1. जिनका जन्म मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्र में होता है वह लोग निसंकोच तीन मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  2. जिनका जन्म लग्न व जन्म राशि मेष, वृश्चिक या धनु हो वो लोग भी तीन मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  3. जो लोग कुण्डलिनि जागरण और तंत्र साधना करते है उन लोगों के लिए भी तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत लाभदायक होता है।
  4. जिन लोगों को भाई बहनों से सदैव तिरस्कार व अपमान मिलता हो उन लोगों के लिए भी तीन मुखी रुद्राक्ष बहुत शुभ है।
  5. अंकशास्त्र के अनुसार जिनका मूलाँक व भाग्याँक 3 हो उन लोगों को भी यह रुद्राक्ष जरुर धारण करना चाहिए।
  6. जिन लोगों का वैवाहिक जीवन मंगली योग चलते बहुत पीड़ा और कष्ट में हो वह लोग इस रुद्राक्ष को मंगल के बीज मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से सिद्ध करके धारण करें तत्काल लाभ होगा।
  7. तीन मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र जो शिवमहापुराण में बताया गया है वह इस प्रकार है।

  ।। ओऊम क्लीं नमः ।।

  1. रुद्राक्ष को सदैव शुक्ल पक्षीय सोमवार के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात् पहनना चाहिए।

कई जगह रुद्राक्ष के सम्बन्ध यह बातें कही जाती है कि रुद्राक्ष धारण मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते है परन्तु मैं निजि रुप से यह नही मानता। रुद्राक्ष धारण करने से पाप मुक्त होने के मार्गों का ज्ञान होता है और साथ में हम मानसिक और आत्मिक रुप से मजबूत होते है जिससे हम बुरें कर्म फलों को सरलता से भोग पायें। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और यह अकाट्य सत्य है।

आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेगें भाग्य मंथन में, तब तक के लिए आज्ञा चाहते है। आपका जीवन शुभ व मंगलमय हो।

।। नमो नारायण ।।

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