एक मुखी रुद्राक्ष

नमो नारायण मित्रों, मैं राहुलेश्वर, आज हम बात करेगें भगवान शिव के परम पवित्र प्रतीक रुद्राक्ष के बारे में।

रुद्राक्ष शब्द सामान्यतः रुद्राक्ष के वृक्ष को कहते है और रुद्राक्ष वृक्ष के फल को रुद्राक्षम् कहा जाता है। परम शक्तियों का पूजन जब किसी अक्षर जप के माध्यम से किया जाता है तब वहाँ अक्षरों का जो क्रम माला के रुप में प्रयोग किया जाता है उसे भी रुद्राक्ष या रुद्राक्षर कहा जाता है। भगवान रुद्र सृष्टि उत्पन्न करने वाले भी है और अन्त में इस पूरी सृष्टि को स्वयं में समाहित करने वाले भी है, सृष्टि का निर्माण अक्षर से ही हुआ है इसलिए भी रुद्राक्ष शब्द अपने आप में बहुत आन्दोलित करने वाला शब्द है।

आज हम बात करेगें रुद्राक्ष के फल रुद्राक्षम् के बारे में जिसके बारे में पुराणों में बताया गया है कि यह भगवान शिव के आसुओं से सृष्टि कल्याण के लिए उत्पन्न हुए थे। 

आज हम जानेगें एक मुखी रुद्राक्ष के बारे में।

एकमुखी रुद्राक्ष को साक्षात् भगवान शिव माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि एकमुखी रुद्राक्ष कालअग्नि से युक्त होता है जोकि बुरे से बुरे कर्मों से आपको उबरने का मार्ग दिखाता है और सृष्टि कल्याण के लिए प्रेरित करता है। एकमुखी रुद्राक्ष परम शक्ति शिव का प्रतीक है जोकि बहुत दुर्लभ माना जाता है, यह आसानी से प्राप्त नही होता, ऐसा बताया जाता है कि एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से ब्रह्म-हत्या जैसे पाप से भी मुक्ति का मार्ग मिल जाता है। इसे धारण करने से आप शिव तत्व की भूमिका इस सृष्टि में क्या है यह समझ पाते है। इसे धारण करने वाला शिव का पूर्ण आर्शिवाद प्राप्त कर पाता है और शरीर छोडने के पश्चात् शिव लोक को जाता है। इसकी प्राप्ति होना ही आपके जीवन के किसी संचित महापुण्य को प्रकट करता है। इस रुद्राक्ष की शक्ति मरणतुल्य शरीर में भी प्राण फूकनें की शक्ति रखती है और मृत्यु को जाते हुए व्यक्ति को मोक्ष भी दिलवा सकती है। जिस जगह एक मुखी रुद्राक्ष का पूजन किया जाता है वहाँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। साधना किसी भी प्रकार की हो यह रुद्राक्ष साधक का कवच बनकर रक्षा करता है।

एकमुखी रुद्राक्ष तीन प्रकार का होता है।

  1. नेपाली एकमुखी रुद्राक्ष। (यह गोल होता है)
  2. इन्डोनेशियन एकमुखी रुद्राक्ष (यह हल्का लम्बाई लिये होता है)
  3. रामेश्वरम् का एक मुखी रुद्राक्ष (यह काजू के आकार का होता है इसे अर्धचन्द्राकार एकमुखी रुद्राक्ष भी कहते है।

इनमें सबसे अच्छा एकमुखी रुद्राक्ष नेपाल का होता है और यह बहुत बहुमूल्य होता है।

आईये अब जाने एकमुखी रुद्राक्ष के ज्योतिषीय दृष्टिकोण के बारे में।

ज्योतिष को आधार बनाकर देखा जाये तो दिखने और न दिखने वाली हर वस्तु पर नवग्रहों का अधिकार बताया गया है, उसी तरह एकमुखी रुद्राक्ष परम सत्ता का प्रतीक होने के कारण प्रकाश के स्रोत्र सूर्य के क्षेत्र में आता है।

जन्म कुण्डली में यदि सूर्य प्रतिकूल स्थिति में हो और जातक को कष्ट दे रहा हो तो एकमुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।

उदाहरणः

  1. जन्म कुण्डली से सूर्य देव नीच राशि तुला में हो, शनि की राशि में हो, मारक भाव में बैठे हो, शनि देव की दृष्टि से प्रभावित हो तो एक मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।
  2. पिता बीमार रहते हो, पिता से वैचारिक मतभेद रहते हो तो भी एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
  3. सूर्य 12 भाव में बैठे हो और विवाह विच्छेद करवाने वाले हो तो भी एकमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
  4. उपचारीय ज्योतिष के रुप में नेत्र रोग, सरदर्द, ह्रदय रोग, हड्डी रोग, त्वचा रोग, पाचन सम्बन्धी रोगों में धारण करने से लाभ होता है।
  5. चिकित्सक, लेखन, अभिनेता, राजनेता है और सफलता में कोई ग्रह बाधक बन रहा है तो एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सफलता मिलती है।
  6. सूर्य की किरणों से जो विटामिन हमें प्राप्त होते है इसे धारण करने से उन विटामिन्स में सन्तुलन बना रहता है। उदाहरण विटामिन ऐ और डी।

जनम लग्न और जन्म राशि के आधार पर एकमुखी रुद्राक्ष कौन धारण कर सकता है।

  1. मेष लग्न वालों के लिए एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ होता है क्योंकि मेष राशि में सूर्य उच्च के होते है।
  2. सिंह राशि में जन्में जातको के लिए भी एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ बताया गया है क्योंकि सिंह राशि सूर्य देव के अधिपत्य में आती है।

जन्म नक्षत्रों के आधार पर भी आप एकमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।

जिनका जन्म कृतिका नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मे होता है उनके लिए एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ बताया गया है क्योंकि यह तीन नक्षत्र सूर्य के अधिपत्य में आते है।

रुद्राक्ष धारण की विधि और मन्त्र।

  1. रुद्राक्ष धारण करने से पहले रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालकर रुद्राक्ष की शुद्धी जरुर करनी चाहिए।
  2. उसके पश्चात् रुद्राभिषेक करते हुए रुद्राक्ष का पूजन और मन्त्रों से शुद्धी करनी चाहिए।
  3. सूर्य की शक्ति जब अनियंत्रित हो जाती है तो जातक बागी, बदतमीज और बिना कारण गुस्सा करने वाला हो जाता है, इस स्थिति में भी एक मुखी रुद्राक्ष धारण करवाया जा सकता है।
  4. एक मुखी रुद्राक्ष को लाल रंग के धागे में धारण करना चाहिए।
  5. एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात् तामसिक भोजन नही करना चाहिए।
  6. एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात् मन और शरीर से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  7. एक मुखी रुद्राक्ष के पूजन के लिए मन्त्र ।। ओऊम् ह्रीं नमः ।।

रुद्राक्ष खरीदने से पूर्व क्या सावधानियाँ रखें।

  1. पानी में न डूबने वाला रुद्राक्ष बिल्कुल न खरीदें। यह भद्राक्ष के श्रेणी मे चला जाता है और पहनने योग्य नही होता ।
  2. लैब टेस्टेड रुद्राक्ष ही पहने, जिससे की पूर्ण पुष्टी हो पाये की रुद्राक्ष असली है।

आज के लिए इतना ही, आपका आज का दिन शुभ व मंगलमय हो,आपसे कल फिर मिलेगें तब तक के लिए।

।। नमो नारायण ।।

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