७ वास्तु टिप्स विद्यार्थियों के लिए

नमो नारायण मित्रों,
मैं राहुलेश्वर स्वागत करता हूँ आपका भाग्य मंथन में।

मित्रो हम रोज आप सभी के द्वारा भेजे गए इमेल्स का विश्लेषण करते है.आप सभी की समस्याओ को समझते है और आपकी सहायता करने के उद्देश्य से इन वीडियोस का निर्माण करते है. हमारे पास रोज बड़ी संख्या में इमेल्स ए है उनमे से एक समस्या बच्चो के विघार्जन को ले कर आने वाली समस्याओ से सम्बंधित होती है.

इसी समस्या के सटीक समाधान के साथ आज हम आपको बताएँगे किसी प्रकार से वास्तु शास्त्र आपके बच्चो के विघा अध्ययन में साथ दे सख्त है और किस प्रकर बच्चो की एकाग्रता में में वृद्धि करि जा सकती है..आइये अब जानते है वो कौनसे वास्तु उपाय है जिससे बच्चो के विघार्जन में आने वाली समस्याए धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है.

१- पढ़ने वाले कक्ष का चुनाव: जब आप बच्चे के पढ़ने का कक्ष का चुनाव करते है तब आपको यह बात ध्यान रखना चाहिए की पढ़ने वाला कक्ष ज्यादा बड़ा न हो ज्यादा बड़ी जगह मवि स्वर गूंजता रहता है और एकाग्रता भांग होती रहती है. जिससे बच्चो का ध्यान पढाई में नहीं लगता. पढाई कक्ष में कोई बड़ी खिड़की न हो जिसे सदैव खुला रखना पड़े. पढाई कक्ष रसोईघर से दूर होना चाहिए जिससे की रसोई से होने वाले शोर से पढाई भंग न हो पूर्व और उत्तर की दिशा बच्चे की कक्ष के लिए सर्वोत्तम होती है. दक्षिण, निकृत्य और आग्नेय कोण पर बच्चो का कमरा नहीं होना चाहिए इससे बच्चो की स्वस्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

२- चित्रों का चुनाव: बच्चो के पढाई कक्ष में श्री गणेश और माता सरस्वती का चित्र लगाना चाहिए. दूसरी बात यह भी देखना चाहिए की बच्चे की रूचि किस चीज में है उससे सम्बंधित चित्र भी पढाई कक्ष में लगाए जा सकते है.

३-पढ़ने वाले कक्ष के दीवारों और पर्दो का रंग: पढ़ने वाले कक्ष के दीवारों और पर्दो का रंग का चुनाव माता-पिता को बहुत सोच समझ के करना चाहिए.जब कुंडली के हिसाब से समझा जाये तो हर बच्चे के विद्यार्जन और भाव और भाग्य भाव का स्वामी अलग होता है जो की बच्चे की पढाई हुए सफलता प्राप्ति से सम्बंधित करके देखा जाता है इसलिए जब भी पढाई कक्ष के कमरों की दीवारों और पर्दो का रंग का चुनाव करना हो तो जन्म कुंडली विश्लेषण जरूर करवाए.

४- पढ़ने वाले टेबल की दिशा: बच्चो की पढ़ने वाले टेबल की दिशा सदैव उत्तर या पूर्व रखनी चाहिए पढ़ते समय बच्चो का मुख की दिशा पूर्व और पीठ की दिशा पश्चिम हो तो बहुत अच्छा रहता है इससे विद्यार्जन में मन लगता है और पढ़ी हुयी बाते ज्यादा समय तक याद रहती है.

५-बच्चो का कंप्यूटर टेबल: बच्चो का कंप्यूटर टेबल सैदव आग्नेय कोण और दक्षिण दिशा में रखना चाहिए.कंप्यूटर का काम ख़तम होने के बाद उसे बंद स्थिति में रखना चाहिए खुला नहीं छोड़ना चाहिए.

६-पुस्तकों का रैक व एसी, कूलर: बच्चो की पुस्तकों से सम्बंधित रैक, नैकृत्य कोण में रखना चाहिए जिससे इस दिशा का भार बढे एसी, कूलर सदैव उत्तर दिशा में रखना चाहिए.

७-उत्तर दिशा बाधित न हो: बच्चो के कमरे में कबि भी कबाड़ा या रद्दी पेपर नहीं रखना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की बच्चा जिस कमरे में पढ़ रहा है उस कमरे में कभी भी उत्तर दिशा में की भरी चीज़ नहीं रखना चाहिए. पढाई वाले कक्ष में उत्तर दिशा में जितनी हलकी चीज़ रखी होगी पढाई पर उतना अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

आज के लिए सिर्फ इतना ही, जाने से पहले ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ की आपके पढ़ लिख कर आपका नाम रोशन करे.आपका जीवन शुभ और मंगलमय से भरा हो.
||नमो नारायण ||