अंकज्योतिष शास्त्र

एक परमात्मा, उसकी तीन पुरूष संज्ञक शक्तियाँ और तीन स्त्री संज्ञक शक्तियाँ, यह सुनकर आपको ऐसा लग रहा होगा कि में किसी सारणी द्वारा परमात्मा और उसकी शक्तियों के बारे में बताऊगा पर ऐसा नही है। ऊपर जब मैंने परमात्मा के आगे एक लगाया और उसकी पुरूष और स्त्री संज्ञक शक्तियों के आगे तीन लगाया तो मैं आप सभी लोगों का ध्यान अंकों की तरफ आकर्षित करना चाहता था। सुनने में अजीब लगेगा परन्तु अंकों की शक्ति इसी बात से देखी जा सकती है कि परमात्मा को भी स्वयं को विवादों से दूर रखने के लिए अंकों का प्रयोग करना पड़ रहा है। हमेशा आप आध्यात्मिक निश्छल ह्रदयी तत्वज्ञानियों को यह बोलते हुए सुनेगें की सबका मालिक एक, ईश्वर एक है, गाँड इस वन, हर बात में अंक का प्रयोग। जहां अंकगणित का प्रयोग हमारे जीवन को सरल बनाता है वैसे ही इसका सही ज्ञान और प्रयोग हमारे जीवन से जुड़ी भूत, वर्तमान और भविष्य की जानकारी भी हमें दे सकता है।

न्यूमेरोलाँजी (अंक शास्त्र) आज कल बहुत प्रसिद्ध है इसका प्रयोग आस्तिक और नास्तिक दोनों प्रकार के लोगों को करते हुए देखा गया है। मकान संख्या के चुनाव से लेकर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नम्बर और उससे भी कई छोटी छोटी चीजों में लोग अपने लिए शुभ व अशुभ अंकों का ध्यान रखते है। आज की न्यूमेरोलाँजी को कई लोग पाश्चात्य संस्कृति की देन समझते है परन्तु ऐसा नही है। आधुनिक न्यूमेरोलाँजी (अंक शास्त्र) हमारे वैदिक ऋषियों द्वारा खोजी गई और निरन्तर विकसित होती हुई विदेशों में पहुँची।

यह वैदिक ज्योतिष के प्रथम स्कन्ध गणित से ही सम्बन्धित है। इसके विकास का श्रेय केवल हिन्दू सभ्यता को ही जाता है इस मत पर अभी विश्व में एकता नहीं है। पहली बार शून्य का अविष्कार बाबिल में हुआ उसके पश्चात माया सभ्यता में और तीसरी बार हिन्दू सभ्यता में हुआ ऐसा माना जाता है लेकिन इसके सटीक प्रमाण कहीं नही मिलें। प्राचीन बक्षाली पाण्डुलिपि में भी शून्य का प्रयोग बताया गया है और यह निश्चित है कि यह पाण्डुलिपि आर्यभट्ट के काल से पुरानी है।

शून्य तथा संख्या का अस्पष्ट प्रयोग सर्वप्रथम ब्रह्मगुप्त की रचना ब्राह्मस्फुट सिद्धान्त में पाया जाता है और यही से इसका प्रचार प्रसार हुआ और भारत की भूमि में खोजे गये शून्य के ज्ञान को सारे विश्व ने स्वीकार किया और प्रचलन में लाना चालू किया।

जिन लोगों को जन्म-कुण्डली की गूढ़ भाषा समझ नहीं आती और जिन लोगों के पास अपने जन्म की सही तारीख और समय नही होता उनके लिए अंक ज्योतिष बहुत लाभकारी है। अंक ज्योतिष सरल है व इसका सही से अध्ययन किया जाये तो इससे प्राप्त होने वाले परिणाम आपको हैरान करके रख देगें। कई घण्टों जन्म-कुण्डली के अध्ययन से निकाला गया निष्कर्ष और अंक ज्योतिष की सहायता से कुछ मिनट में निकाला गया निष्कर्ष कई बार एक जैसा होता है। इस विधा को भली-भांति समझ कर आप अपने आस-पास के लोगों का ध्यान आसानी से आकर्षित कर सकते है। 1 से लेकर 9 अंकों के बीच सिमटा यह शास्त्र आज के समय के अनुसार काफी अच्छे परिणाम देने वाला है। जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में नवग्रह होते है यहाँ पर भी 9 अंक होते है और इन 9 अंकों पर क्रमशः सूर्य, चन्द्रमा, बृहस्पति, राहु, बुध, शुक्र, केतु, शनि और मंगल का अधिपत्य आता है और इन्हीं के आधार पर जातक का मूलाँक और भाग्याँक निकालकर जातक का फलित किया जाता है।

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